नई दिल्ली. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश में बौद्धिक संपदा के भावी रोडमैप तैयार करने में सहायता के लिए राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को मंजूरी दे दी है. इस कदम से भारत में रचनात्मक और अभिनव (इनोवेटिव) ऊर्जा के भंडार को प्रोत्साहन मिलेगा तथा सबके बेहतर और उज्जवल भविष्य के लिए इस ऊर्जा का आदर्श इस्तेमाल संभव होगा.
इस नीति की मदद से सरकार के साथ अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) संगठनों, शिक्षा संस्थानों, सूक्ष्म, लघु, मध्यम उपक्रमों, स्टार्ट अप और अन्य हितधारकों को शक्ति संपन्न किया जाएगा ताकि वे अभिनव तथा रचनात्मक वातावरण का विकास कर सकें. देश में बौद्धिक संपदा को लेकर विकसित देशों के मुकाबले कम जागरुकता है और इसे प्रोत्साहित करने में यह नीति मदद करेगी. राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति एक विजन दस्तावेज है जिससे समस्त बौद्धिक संपदाओं के बीच सहयोग संभव बनाया जाएगा. इसके अलावा संबंधित नियम भी तैयार किये जाएंगे.
इस नीति के तहत इस बात पर बल दिया गया है कि भारत बौद्धिक संपदा संबंधी कानूनों को मानता है और बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए यहां प्रशासनिक तथा न्यायिक ढांचा मौजूद है. इसके तहत दोहा विकास एजेंडा और बौद्धिक संपदा संबंधी समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है. बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्व पूरे विश्व में बढ़ रहा है, इसलिए यह आवश्यक है कि भारत में इन अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए. बौद्धिक संपदा अधिकारों के साथ वित्तीय और आर्थिक पक्ष भी जुड़े हुए हैं. इसके लिए घरेलू स्तर पर आईपी फाइलिंग और पेटेंट की वाणिज्यिक स्थिति के बारे में भी जानकारी आवश्यक है.