नई दिल्ली। उज्बेकिस्तान में सिरप पीने ने 18 बच्चों की मौत हो गई है। वहां की स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसका आरोप भारतीय कंपनी पर लगाया है। ठीक इसी प्रकार की घटना इसी साल सितंबर-अक्टूबर में गाम्बिया में भी देखने को मिली थी। जहां पर कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत हो गई थी। […]
नई दिल्ली। उज्बेकिस्तान में सिरप पीने ने 18 बच्चों की मौत हो गई है। वहां की स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसका आरोप भारतीय कंपनी पर लगाया है। ठीक इसी प्रकार की घटना इसी साल सितंबर-अक्टूबर में गाम्बिया में भी देखने को मिली थी। जहां पर कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत हो गई थी। उस समय भी गाम्बिया में हुई बच्चों की मौत का आरोप भारत में निर्मित सिरप कंपनी पर लगाया गया था।
बता दें कि गाम्बिया में हुए 66 बच्चों की मौत के बाद अब उज्बेकिस्तान में भी इसी तरह की घटना सामने आ रही है। इस घटना के बाद उज्बेकिस्तान स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये आरोप लगाया है कि 18 बच्चों की मौत भारतीय कंपनी की दवा पीने से हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार साल 2012 में मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड को रजिस्टर्ड किया गया था। उनकी तरफ से कहा गया है कि बच्चों ने मरने से पहले इसी दवा का सेवन किया था। सांस की गंभीर बिमारी से ग्रसित बच्चों ने इसका सेवन किया था, जिसके बाद 18 बच्चों की मौत हो गई। इस सिरप का नाम डॉक्टर-1 मैक्स सिरप है।
इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ये भी दावा किया गया है कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उन्होंने 2 से 7 दिनों तक दिन में 3-4 बार इस सिरप का सेवन किया था। कंपनी पर ये भी आरोप लगाए गए हैं, कि उन्होंने जो मानक निर्धारित किये थे वो खुराक से काफी अधिक है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि दवा मेन कम्पोनेंट पैरासिटामोल है जिसको बच्चो के माता-पिता ने बिनी किसी परामर्श या फॉर्मेसी विक्रेताओं की सिफारिश पर एंटी कोल्ड के रूप में इस्तेमाल किया था, जिसके कारण बच्चों की मौत हो गई। दवा का ज्यादा पॉवर होने की वजह से ये उल्टी, बेहोशी, हृदय संबधी बीमारी और किडनी फेल होने का खतरा बना रहता है।