बीजिंग. भारत और चीन ने आज सीमा मुद्दे का ‘राजनीतिक’ समाधान निकालने की प्रतिबद्धता व्यक्त की और आगे बढ़कर इसे जल्द से जल्द हल करने का संकल्प जताया. इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि हाल के दशकों में ‘जटिल’ हुए विवाद हमारे संबंधों के विकास को बाधित नहीं करें. मोदी ने चीन से उन कुछ मामलों में अपने रुख पर पुनर्विचार करने को कहा, जो द्विपक्षीय संबंधों की पूर्ण क्षमता प्राप्त करने में बाधक हैं. इनमें अरुणाचल प्रदेश के लोगों को नत्थी वीजा देने का विषय भी शामिल है.
मोदी ने कहा, अपनी सरकार के पहले वर्ष में चीन यात्रा से मैं प्रसन्न हूं. यह हमारी महत्वपूर्ण सामरिक भागीदारियों में से एक है. कारण स्पष्ट है. भारत और चीन का पुर्नोदय और दोनों के संबंध दोनों देशों एवं नि:संदेह इस शताब्दी पर व्यापक प्रभाव डालेंगे. प्रधानमंत्री ने हालांकि साथ ही कहा, हाल के दशकों में हमारे संबंध पेचीदा रहे हैं, लेकिन हम पर यह ऐतिहासिक जिम्मेदारी है कि हम अपने संबंधों को एक-दूसरे की ताकत के स्रोत और दुनिया की भलाई की शक्ति के रूप में बदल दें. उन्होंने स्पष्ट किया कि पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है और जोर दिया कि ठहराव कोई विकल्प नहीं है. संबंधों में ‘आगे बढ़ना ही एक मात्र रास्ता’ है, जो पिछले कुछ दशकों से पेचीदा रहे हैं.
इसके साथ ही उन्होंने चीन को सुझाव दिया कि वह दोनों देशों के संबंधों को सामरिक और दीर्घकालिक परिपेक्ष्य में देखे. प्रधानमंत्री ने बीजिंग में चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग से व्यापक विषयों पर बातचीत की और वीजा मुद्दे पर ठोस प्रगति चाही। अरुणाचल प्रदेश के लोगों को चीन द्वारा नत्थी वीजा देने से यह विषय जुड़ा है दोनों नेताओं ने अपने सैन्यकर्मियों के बीच सीमा बैठकों की संख्या बढ़ाने का निर्णय किया और सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाए रखने की जरूरत को रेखांकित किया जो विकास एवं संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए ‘महत्वपूर्ण गारंटी देने वाला’है.
बैठक के बाद संयुक्त बयान में कहा गया है, दोनों पक्षों ने इसकी पुष्टि की कि सीमा से जुड़े सवाल के जल्द समाधान से दोनों देशों के बुनियादी हित सधेंगे और दोनों सरकारों को इसे सामरिक उद्देश्य के रूप में आगे बढ़ाना चाहिए. बयान में कहा गया है, सम्पूर्ण द्विपक्षीय संबंधों और दोनों देशों के लोगों के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्ष सीमा के सवाल का एक राजनीतिक समाधान सक्रियता से निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं. संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों पक्ष सीमा के सवाल समेत लंबित मतभेदों का समाधान सक्रियता से निकालेंगे. इन मतभेदों को द्विपक्षीय संबंधों का विकास जारी रखने के मार्ग में बाधक नहीं बनने दिया जाएगा.
प्रधानमंत्री ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से बातचीत के दौरान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन की ओर से 46 अरब डॉलर निवेश करने के प्रस्ताव पर चिंता जताए जाने के अगले दिन चीनी प्रधानमंत्री से आज बातचीत के दौरान यह सुझाव दिया कि चीन को चाहिए कि वह दोनों देशों के संबंधों को सामरिक और दीर्घकालिक नजरिये से देखे. चीन के प्रधानमंत्री ली के साथ ग्रेट हाल आफ पीपुल में वार्ता के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए संयुक्त बयान में मोदी ने कहा, हमारी बातचीत बेबाक, रचनात्मक और दोस्ताना रही. हमने सभी मुद्दों पर बात की जिनमें वे विषय भी शामिल हैं जो हमारे संबंधों को ठीक ढंग से आगे बढ़ाने में समस्या हैं.
पड़ोसी देश को प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि वह आपसी संबंधों को लेकर सामरिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाये. उन्होंने कहा, मैंने पाया कि चीनी नेतृत्व का रुख अनुकूल है. वहीं, चीन के प्रधानमंत्री ली ने स्वीकार किया कि सीमा मुद्दे को लेकर दोनों पक्षों के बीच मतभेद हैं और दोनों देशों को शांति और स्थिरता बनाये रखने की आवश्यकता है. ली ने कहा, हम इस बात से इनकार नहीं करते कि हमारे बीच कुछ मतभेद हैं. लेकिन उन्हें सुलझाने के लिए एक व्यवस्था और पर्याप्त राजनीतिक परिपक्वता मौजूद है. चीनी प्रधानमंत्री ने कहा, हम चीन-भारत संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को चाहिए कि वे एशिया और उसके बाहर और बड़ी भूमिका निभाने के अवसर को हासिल करें. उन्होंने कहा कि बहु-ध्रुवीय विश्व बनाने के लिए भारत और चीन दो महत्वपूर्ण देश हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा से जुड़े मुद्दे पर कहा कि हमने उचित, व्यावहारिक और आपसी सहमति से स्वीकार्य समाधान तलाशने पर सहमति व्यक्त की. हम दोनों ने सीमा क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनाये रखने के लिए हर तरह के प्रयास करने के प्रति अपनी मजबूत प्रतिबद्धता व्यक्त की. उन्होंने कहा, मैंने यह भी दोहराया है कि इस संबंध में वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रति स्पष्टता महत्वपूर्ण है. मोदी ने कहा कि हम इस बात पर सहमत हुए कि हम आगे बढ़ें, एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील हों, आपसी विश्वास को मजबूत करें, अपने मतभेदों से परिपक्वता के साथ निपटें और लंबित मुद्दों का समाधान खोजें. संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने विशेष प्रतिनिधियों के तंत्र के जरिये हुई महत्वपूर्ण प्रगति का सकारात्मक मूल्यांकन किया.
IANS से भी इनपुट
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