आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने 30 अप्रैल को लातुर में जब से ये कहा है कि पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को बिना काम के ही नोबेल पुरस्कार मिल गया तब से सोशल मीडिया पर उनकी काफी आलोचना हो रही है.
मुंबई. आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने 30 अप्रैल को लातुर में जब से ये कहा है कि पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को बिना काम के ही नोबेल पुरस्कार मिल गया तब से सोशल मीडिया पर उनकी काफी आलोचना हो रही है.
श्रीश्री को मलाला के बारे में ऐसी बात करना इमेज के हिसाब से कितना महंगा पड़ा है इसका अंदाजा सिर्फ फिल्म निर्माता फराह खान के निर्माता-निर्देशक पति शिरीष कुंदर के इस ट्वीट से समझ सकते हैं जिन्होंने लिखा, “18 साल की मलाला से अपनी जलन सामने लाकर 59 साल के श्रीश्री ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ की कितनी भी मात्रा आपको एक बेहतर आदमी नहीं बना सकती.”
With his jealousy for 18 yr old Malala, 59 yr old Sri Sri has once again proved: No amount of ‘Art of Living’ can make you a better person.
— Shirish Kunder (@ShirishKunder) May 3, 2016
‘नोबेल पुरस्कार के लिए कुछ खास मुद्दे उठाने से इनकार कर दिया था’
दरअसल, महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित लातुर में अपनी संस्था के कामकाज को देखने गए श्रीश्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उन्हें एक बार नोबेल पुरस्कार के लिए कुछ खास मुद्दों को उठाने कहा गया था जिससे उन्होंने इनकार कर दिया. मीडिया में ये खबर इस तरह छपी कि श्रीश्री को नोबेल पुरस्कार ऑफर किया गया था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया.
मलाला विवाद पर श्रीश्री- जैसे आप मज़ा ले रहे हो वैसे ही मैं भी
इसी संवाददाता सम्मेलन में श्रीश्री ने मलाला का बिना नाम लिए ये भी कहा था कि जब बिना कोई काम किए 16 साल की एक लड़की नोबेल पुरस्कार जीत सकती है तो आपको समझ में आ जाता है कि नोबेल शांति पुरस्कार के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत नहीं है. श्रीश्री के मलाला वाले बयान पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दिखी तो आर्ट ऑफ लिविंग ने एक सफाई जारी की है.
‘नोबेल पुरस्कार के पीछे राजनीतिक वजहें काम करती हैं’
इस सफाई के मुताबिक श्रीश्री से लातुुर में एक पत्रकार ने पूछा था कि आप ये सारे सामाजिक कार्य नोबेल पुरस्कार के लिए कर रहे हैं जिसके जवाब में श्रीश्री ने कहा था, “बिल्कुल नहीं. एक पुरस्कार लेकर मैं क्या करूंगा. हम सालों से सामाजिक काम कर रहे हैं और ये काम पुरस्कार के लिए नहीं कर रहे. जब अच्छा काम किया जाता है तो लोगों को लगता है कि ये सब पुरस्कार के लिए किया जा रहा है लेकिन इसके पीछे कोई तार्किक आधार नहीं है.”
.@SriSri has been misquoted by the media. @DeccanChronicle must apologise. pic.twitter.com/JwliuKt1Ab
— Art of Living (@ArtofLiving) May 2, 2016
मलाला को लेकर श्रीश्री के बयान पर विवाद को लेकर इस सफाई में कहा गया है कि श्रीश्री ने कहा, “जब बिना काम किए 16 साल की एक लड़की नोबेल पुरस्कार पा सकती है तो आपको समझ में आ जाता है कि नोबेल शांति पुरस्कार के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत नहीं है. इसमें राजनीतिक वजह काम करती हैं.”