नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को उन दो याचिकाओं पर सुनवाई होगी, जिसमें अंडरग्रेजुएट मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए राज्यों को अलग से प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की छूट देने का अनुरोध किया गया है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टी.एस. ठाकुर ने सोमवार को कहा कि न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे की अध्यक्षता में विशेष पीठ इस मामले की सुनवाई मंगलवार को दोपहर दो बजे करेगी, जिसमें जम्मू-कश्मीर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम और कर्नाटक के एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजेस की ओर से के.के. वेणुगोपाल अपना-अपना पक्ष रखेंगे.
SC के फैसले से कई राज्य नाखुश
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजेस सहित कई राज्य सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार के फैसले से नाखुश हैं, जिसमें अंडरग्रेजुएट मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला केवल राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET) के आधार पर ही देने की बात कही गई है, जिसका संचालन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा किया जाना है. नीट का पहला चरण रविवार को संपन्न हो चुका है, जबकि दूसरा चरण 24 जुलाई को होना है.
मेडिकल में दाखिला के लिए समान परीक्षा होंगी
इस बीच शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने सोमवार को मध्य प्रदेश कानून को बरकरार रखा, जिसके मुताबिक सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला के लिए समान प्रवेश परीक्षा होगी. पीठ ने बहुमत से दिए अपने फैसले में कहा कि मैनेजमेंट कोटा के तहत रिक्त पड़ी सीटों पर दाखिले राज्य सरकारों द्वारा किए जाएंगे.
संसदीय मेडिकल नियामक कानून नहीं लागू होता
संविधान पीठ ने तीन सदस्यीय समिति भी बनाई, जो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के तत्वावधान में काउंसलिंग और दाखिले से संबंधित मामलों पर तब तक नजर रखेगी जब तक कि इसके लिए संसदीय मेडिकल नियामक निकाय द्वारा कानून नहीं लागू हो जाता. देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा, पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय और प्रख्यात चिकित्सक शिव सरीन समिति के सदस्यों में हैं.