MP: हाईकोर्ट का फैसला, प्रमोशन में नहीं होगी आरक्षण की व्यवस्था

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शनिवार को प्रमोशन में आरक्षण को अवैध करार दे दिया है. कोर्ट ने राज्य की सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी लोगों को प्रमोशन में आरक्षण देने की व्यवस्था को खत्म करते हुए मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम-2002 को निरस्त कर दिया है.

Advertisement
MP: हाईकोर्ट का फैसला, प्रमोशन में नहीं होगी आरक्षण की व्यवस्था

Admin

  • May 1, 2016 5:52 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
भोपाल. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शनिवार को प्रमोशन में आरक्षण को अवैध करार दे दिया है. जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य की सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी लोगों को प्रमोशन में आरक्षण देने की व्यवस्था को खत्म करते हुए मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम-2002 को निरस्त कर दिया है. 
 
कोर्ट ने यह भी कहा कि अब तक जितनी पदोन्नतियां दी गई हैं, उन्हें रद्द किया जाए. विभागों को ग्रेडेशन लिस्ट वापस लेने का आदेश दिया गया है. बता दें कि 60 हजार से ज्यादा प्रमोशंस रद्द हो जाएंगे.
 
हाईकोर्ट के इस फैसले का विरोध करते हुए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करने वाली है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सरकार आरक्षण के पक्ष में है, इसलिए वह इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी. 
 
आरबी राय, संतोष कुमार और एससी पांडे ने इस मामले में पीआईएल दर्ज की थी. पिटीशनर्स ने 2002 के नियमों को इस आधार पर चुनौती दी थी कि ये 2006 की सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक नहीं हैं. 
 
चीफ जस्टिस अजय खानविलकर और जस्टिस संजय यादव की डिविजन बेंच के 35 पेज का फैसले में कहा गया है, ‘मौजूदा प्रोविजन संविधान के आर्टिकल 16 (4ए) 16 (4बी) और आर्टिकल 335 का उल्लंघन करता है. इस वजह से 2002 के नियमों के मुताबिक एससी-एसटी कैटेगरी में हुए अलग-अलग प्रमोशंस अब पहले की स्थिति में चले जाएंगे’. कोर्ट ने यह भी कहा है कि अप्वाइंटमेंट के दौरान आरक्षण सही है, लेकिन प्रमोशन में आरक्षण टैलेंटेड लोगों को डिमोरलाइज कर देगा.
 
क्या है मामला
 
मध्य प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति को 16 और अनुसूचित जनजाति को 20 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया था. 11 जून 2002 से लागू इन नियमों में यह जिक्र किया गया था कि जो पोस्ट आरक्षित रहेंगी, उन्हें कभी भी आरक्षण के दायरे से बाहर नहीं किया जा सकता. यानी एसटी कैंडिडेट के नहीं होने पर उस पोस्ट पर एससी को और एससी कैंडिडेट नहीं होने पर एसटी को प्रमोशन देने का प्रावधान था. इसके खिलाफ 2011 में 24 पिटीशंस हाईकोर्ट में दायर की गई थीं. बीती 31 मार्च को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
 
 
 

Tags

Advertisement