महाराष्ट्र की कन्हैया बन गई हैं तृप्ति देसाई: मुंबई पुलिस

मुंबई. मुंबई के डेप्युटी कमिश्नर मनोज कुमार शर्मा ने तृप्ति देसाई की तुलना जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार से की. उन्होंने कहा कि तृप्ति देसाई महाराष्ट्र की कन्हैया कुमार बन गई हैं. शर्मा के मुताबिक तृप्ति देसाई को हैंडल करना मुंबई पुलिस के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं है.
जॉइंट पुलिस कमिश्नर देवेन भारती (लॉ ऐंड ऑर्डर) ने कहा, हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि तृप्ति देसाई वापस मुंबई शहर के दायरें में न आएं. इसलिए हमने उनके साथ दो महिला पुलिस कॉन्सटेबलों को उनसे साथ पुणे तक भेजा.
बता दें कि गुरुवार को 12 घंटों तक तृप्ति ने पुलिस की नाक में दम करके रखा था. जबसे उन्होंने हाजी अली दरगाह में जाकर प्रार्थना करने का ऐलान किया था, तब से हालात को संभालने के लिए दरगाह को बैरिकेड्स से घेर दिया गया था. इसके साथ ही बड़ी संख्या में सुरक्षा बल भी तैनात किए गए थे.
हालांकि तृप्ति के समर्थकों को शाम चार बजे से पांच बजे तक दरगाह के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमती मिल गई थी. लेकिन तृप्ति शाम छह बजे के करीब वहां पहुंची. वह अपनी कार से भी नहीं उतर पाईं थीं कि उन्हें वहीं से हटा दिया गया क्योंकि भीड़ ने हिंसक होने की धमकी दे दी थी. लोग उनकी कार पर मुक्के मार रहे थे और उनके खिलाफ नारे लगा रहे थे.
वहां से हटाए जाने के कुछ घंटों बाद तृप्ति फिर वापस आकर दरगाह के सामने समुंद्र के पास बैठ गईं थी. पहले वह मजार में घुसने की जिद कर रही थीं लेकिन जब वह वापस आईं तो उन्होंने कहा कि वह दरगाह के अंदर प्रोटेस्ट करना चाहती हैं. आखिरकार उन्होंने कहा कि वह सिर्फ प्रार्थना करना चाहती हैं और आगे आने वाले दिनों में अपना विरोध प्रदर्शन तेज करेंगी.
देवेन भारती के मुताबिक वह सिर्फ तमाशा खड़ा कर रही थीं. हमने उनसे कहा था कि अगर वह शांतिपूर्वक अंदर जाना चाहती हैं तो हम उन्हें सुरक्षा देने के लिए तैयार हैं. लेकिन जैसे ही रात के 10 बजे उन्होंने कहना शुरु कर दिया कि पुलिस ने उन्हें दरगाह में जाने से रोका है और वह मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन करेंगी.
इसके बाद रात साढ़े दस बजे प्रदर्शन करने की उनकी योजना रद्द कर दी गई. पुलिस ने उनके समर्थकों को हिरासत में ले लिया. आजाद मैदान में तृप्ति को तकरीबन दो घंटे तक रखा गया जहां उनके साथ भारी सुरक्षाबल भी मौजूद था. शुक्रवार सुबह तकरीबन पौने एक बजे देसाई को घर जाने के लिए मना लिया गया. पुलिस ने पहले उन्हें नवी मुंबई तक ड्रॉप करने की सोचा था लेकिन बाद में डीसीपी शर्मा ने उन्हें यह कहकर पुणे भेज दिया कि मुंबई में उनकी जान को खतरा हो सकता है.
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