प. बंगाल चुनाव: तीसरे चरण में मतदान शुरू, हिंसा में एक की मौत

कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में मुर्शिदाबाद, नदिया, बर्दवान जिलों और उत्तरी कोलकाता में फैली 62 सीटों के लिए 34 महिलाओं समेत 418 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनके भाग्य का फैसला 1.37 करोड़ मतदाताओं के हाथ में होगा. सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक 16,461 मतदान केंद्रों पर मतदान होगा और 65,79,331 महिलाएं समेत कुल 1,37,13,594 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं. मतदान के लिए चुनाव आयोग ने 16 हजार 461 पोलिंग बूथ की व्यवस्था की है. वहीं, मुर्शिदाबाद में मतदान के दौरान हिंसा में एक आदमी की मौत हो गई है.
BJP ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे
तृणमूल कांग्रेस, वाम-कांग्रेस गठबंधन और बीजेपी ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. छह साल पहले पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए तृणमूल कांग्रेस से निकाले गए पूर्व मंत्री हुमायूं कबीर राजनगर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार हैं. कांग्रेस के प्रभाव वाले मुर्शिदाबाद जिले में पांच बार से कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री अबू हिना मैदान में हैं.
3,401 क्षेत्र संवेदनशील चिह्नित
चुनाव आयोग ने इस चरण में 3,401 क्षेत्रों को संवेदनशील चिह्नित किया है. राज्‍य में तीसरे चरण के मतदान से पहले कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के लिए चुनावी क्षेत्रों में केन्द्रीय अर्धसैनिक बल के 75,000 जवानों सहित एक लाख सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. तीसरे चरण में कुल 62 सीटों पर मतदान होंगे. चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 714 कंपनियों ने अपना कार्यभार संभाल लिया है. इन कंपनियों में करीब 75,000 जवान हैं. निर्देशों के मुताबिक, मतदाताओं में विश्वास पैदा करने के लिए वे अपने इलाके में मार्च निकाल रहे हैं.
चुनाव में 61 कंपनियां केंद्रीय बलों की उतारी गईं
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय बलों की 61 कंपनियां कोलकाता उत्तर में तैनात की गई हैं, जबकि मुर्शिदाबाद में 261, बर्दमान में 198 और नादिया में 194 कंपनियां तैनात की गई हैं. उन्होंने बताया कि मुर्शिदाबाद जिले की संवेदनशीलता को देखते हुए दो अतिरिक्त पुलिस पर्यवेक्षकों को प्रभार दिया गया है. स्थानीय भाषा या भौगोलिक स्थिति से अनभिज्ञ इन 75,000 अर्धसैनिक बल के जवानों की सहायता के लिए 25,000 राज्य पुलिस बल के जवानों को मुस्तैद किया गया है. सभी मतदान परिसरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी केन्द्रीय बलों के कंधों पर होगी, जबकि स्थानीय भाषा को समझने वाले ‘लाठी’ से लैस राज्य पुलिस बल के जवान कतार प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालेंगे.
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