गुरदासपुर. पिछले सप्ताह लाहौर जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में दम तोड़ने वाले भारतीय नागरिक किरपाल सिंह का पंजाब के गुरदासपुर जिले में स्थित उनके पैतृक गांव में बुधवार को गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार कर दिया गया. गुरुदासपुर से करीब चार किलोमीटर दूर मुस्तफाबाद गांव में किरपाल सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए संबंधी, मित्र समेत गांव और पड़ोसी गांवों के सैकड़ों लोग उपस्थित थे. उन्होंने शोकसंतप्त परिवार के साथ संवेदना जताई. गुरुदासपुर, चंडीगढ़ से 220 किलोमीटर दूर है.
अंतिम संस्कार के समय कृपाल की बहन जागीर कौर और अन्य परिजन बुरी तरह से रो रहे थे. शव जब भारत लाया जा रहा था तो उस समय अमृतसर से 30 किलोमीटर दूर अटारी सीमा पर किरपाल के निकट संबंधी और गांव के लोग उपस्थित थे. परिवार के सदस्यों ने शव पर चोट के निशान होने का आरोप लगाया.
1992 से ही पाक जेल में बंद थे किरपाल
लाहौर की कोट लखपत जेल में अप्रैल, 2013 में कैदियों के हमले में जान गंवाने वाले भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर भी किरपाल सिंह की अंत्येष्टि में शामिल हुईं. 54 वर्षीय कृपाल सिंह 1992 से ही पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद थे. गत 11 अप्रैल को उन्होंने संदिग्ध परिस्थितियों में जेल अस्पताल में दम तोड़ दिया. परिवार के लोग इस बात पर कायम हैं कि कृपाल 1992 में गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे. पाकिस्तानी प्राधिकारियों ने किरपाल को जासूस बताया और आतंकी हमलों में संलिप्त होने का आरोप लगा कर फांसी की सजा दिलावा दी. इसे बाद में 20 साल की कैद में बदल दिया गया.
किरपाल की मौत हृदय गति रुकने हुई: पाक
पाकिस्तानी जेल प्रशासन का कहना है कि किरपाल की मौत हृदय गति रुकने हुई, जबकि परिजनों का आरोप है कि उनकी हत्या की गई. परिजनों का दावा है कि उनकी हत्या साथी कैदियों या पाकिस्तानी जेल के अधिकारियों ने की. पाकिस्तानी अधिकारियों ने मंगलवार को अटारी-वाघा संयुक्त सीमा चौकी पर कृपाल का शव भारतीय सीमा सुरक्षा बल को सौंप दिया था. परिजनों ने शव को पहचान लिया था.