गुरदासपुर. किरपाल सिंह के परिवारवाले आज मूसतफाबाद गांव में उनका अंतिम संस्कार करेंगे. कल उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया था क्योंकि कोई भी सरकारी अधिकारी किरपाल सिंह के परिवार से दुख सांझा करने नहीं पहुंचा था.परिवार वालो ने मांग की थी की सर्वजीत के परिवार जैसी सरकारी मदद उन्हें भी मुहैया कराया जाए.
55 वर्षीय किरपाल की 11 अप्रैल को लाहौर की कोट लखपत जेल में संदिग्ध हालात में मौत हुई थी. लाहौर के जिन्ना हॉस्पिटल में पोस्टमार्टम करने के बाद किरपाल का शव भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को सौंपा गया था. वही किरपाल का शव वाघा बॉर्डर के रास्ते मंगलवार को भारत भेजा गया था. यहां फिर उसका मृतक शव का अमृतसर में पोस्टमाटर्म के बाद उसके पैतृक गांव मुस्तफाबाद सैदा में लाया गया.
उनके परिवार के साथ दुख सांझा करने के लिए शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा प्रशिद के महा सचिव रविंदर सिंह विक्की उनके गाँव पहुंचे. यहां पर कोई भी सरकारी अधिकारी उनके परिवार से मिलने नहीं पहुंचा. परिवार वालो ने जब किरपाल सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखी गई उसमें कहीं भी यह नहीं लिखा गया उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किरपाल सिंह के शरीर से दोनों किडनी और दिल निकाल लिए गए थे. किरपाल के परिवार की मांग है की उन्हें सरबजीत के परिवार की तरह सरकारी मदद चाहिए.
बता दें कि जिला गुरदासपुर के रहने वाले किरपाल जासूसी के आरोप में पिछले 25 सालों से पाकिस्तानी जेल में कैद थे. वह 1992 में वाघा सीमा के रास्ते कथित तौर पर पाकिस्तान में घुस गए थे और उन्हें पाकिस्तान द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था. उन्हें बाद में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में मौत की सजा सुनाई गई. पाकिस्तान की जेल मे बंद पंजाब के कैदी किरपाल सिंह की 11 अप्रेल को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.