नई दिल्ली. हिंदी फिल्मों के जानदार विलेन, कामेडियन, स्टोरी राइटर, डायलाग राइटर कादर खान की ज़िंदगी के अंधेरे डराते हैं, बदनसीबी बेचैन करती है और उनकी कामयाबी मिसाल गढती है. यह आदमी जीवटता, जिंदादिली और जिंदगी का हमसाया सा है.
यह आदमी जिंदगी भर अपनी मां को तलाशता रहा है. उसकी मां ने पहाड़ जैसे सितम उठाए और औलाद के लिये ज़लालतों के जहर पिए. कादर खान के मां बाप अफगानिस्तान में रहते थे, काबुल से थोड़ा दूर- उनके तीन बेटे आठ साल के होकर मर गए, फिर जब चौथा हुआ तो मां ने अपने शौहर से कहा यहां की आबो हवा ठीक नहीं कहीं और चलो. मां बाप अफगानिस्तान से हिंदुस्तान और हिंदुस्तान में आखिरकार मुंबई गए. यह चौथा बच्चा कादर खान थे.
कादर खान ने जिन फिल्मों के स्क्रीन प्ले लिखे उनमें उनकी मां बार बार जिंदा होती है. मां का दर्द, उसकी घुटन और उसका जहन्नुम महसूस होता है.
कादर खान के पिता ने मां को तलाक दे दिया, वे मौलवी थे. ननिहाल वालो ने मां का दूसरा निकाह करा दिया. सौतेले पिता कुछ खास कमा धमा नहीं पाते थे और बार बार कादर खान को उनके पिता के यहां पैसा लेने के लिये भेज दिया करते थे.
इंडिया न्यूज के खास शो संघर्ष में मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत आपको बताएंगे कि कादर खान के जीवन में क्या उतार-चढ़ाव आए. साथ ही उन्होंने बॉलीवुड की मशहूर हस्तियों की लिस्ट में कैसे अपना नाम दर्ज किया.