नई दिल्ली. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि मोदी सरकार कालाधन वापस लाने को लेकर गंभीर नहीं है. माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ में प्रकाशित संपादकीय के मुताबिक, “मोदी सरकार अगर कालाधन, कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग (धन की हेराफेरी) पर लगाम लगाने को लेकर गंभीर है, तो उसे छद्म कंपनियां खोलने और कर पनाहगाह देशों में गुप्त खाते खोलने वाले भारतीयों पर बैन लगाना चाहिए.”
माकपा ने कहा, “लेकिन बीजेपी सरकार ऐसा करने की हिम्मत नहीं करेगी, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय पूंजी की पूरी व्यवस्था छद्म कंपनियों और कर पनाहगाहों के साथ गुंथी हुई है.”
संपादकीय के मुताबिक, “पनामा पेपर्स पर प्रस्तावित कार्रवाई से इसकी पुष्टि होती है कि मोदी सरकार केवल सतही कार्रवाई करेगी और वह कर पनाहगाहों, मनी लॉन्ड्रिंग व कालेधन के सृजन के ढांचे को छूने के लिए तैयार नहीं है.” संपादकीय के मुताबिक, “मोदी सरकार जिसने कालेधन का पता लगाने और विदेश से कालाधन वापस लाने को लेकर सबसे ज्यादा शोर मचाया था, अपने वादे को पूरा करने में खोखली होने की उसकी सच्चाई सामने आ गई है.”
संपादकीय में कहा गया है कि मोदी सरकार के कार्यभार संभालने के दो साल पूरे होने के बाद भी देश में कालाधन वापस लाने को लेकर ज्यादा कुछ नहीं किया गया है. संपादकीय के मुताबिक, “मोदी सरकार ने गुप्त खातों में अवैध तरीके से धन रखने वालों और छद्म कंपनियों का संचालन करने वालों पर केवल तकनीकी कार्रवाई ही की है. इससे पहले भी विदेशों में मौजूद अपने धन और संपत्ति का खुलासा न करने वालों को केवल कुछ कर नोटिस ही भेजे गए थे.”