फैजाबाद. फैजाबाद में रहे गुमनामी बाबा के नेताजी सुभाष चंद्र बोस होने की गुत्थी को सुलझाने को बुधवार दोपहर गुमनामी बाबा के सामान की जांच करने के लिए एक टेक्निकल टीम राजधानी लखनऊ से फैजाबाद पहुंची. यह टीम सारे सामान की जांच कर अपनी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपेगी. अखिलेश सरकार गुमनामी बाबा के नेता जी होने के संदेह की जांच के लिए एक आयोग गठित करने का मन बनाया है. जांच आयोग के अध्यक्ष हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज होंगे.
इस बारे में प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पंडा ने भी माना कि हाईकोर्ट के आदेश के पालन में गुमनामी बाबा की जांच के लिए आयोग बनाने पर विचार हो रहा है. आयोग के अध्यक्ष का नाम अभी फाइनल नहीं किया गया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर जज की अगुवाई में जांच आयोग का गठन किया जाएगा.
नेताजी के परिवारीजन ने भी गुमनामी बाबा के सुभाष चंद्र बोस होने की संभावना जताई. नेताजी के बारे में प्रचलित है कि 1945 में ताइवान में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गयी थी जबकि फैजाबाद के रामभवन में रहने वाले गुमनामी बाबा का निधन सितंबर 1985 में हुआ. उनका फैजाबाद में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया. गुमनामी बाबा को सुभाष चंद्र बोस बताने का दावा करते हुए डॉ. अलोकेश बागची ने लंबी लड़ाई लड़ी। इधर गुमनामी बाबा के सामानों की छानबीन में भी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी कई सामग्री बरामद हुई थी. इससे पूरे देश में लोगों की जिज्ञासा बढ़ गयी है. प्रदेश सरकार ने इस सच्चाई से पर्दा उठाने के लिए ही आयोग गठित करने का फैसला किया.
गुमनामी बाबा के रहस्यों से पर्दा उठाने की लम्बे अरसे से मांग कर रहे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस विचार मंच ने यूपी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. इससे पहले कोषागार में रखे गुमनामी बाबा के सामानों को संगृहीत व प्रदर्शित करने का काम शुरू कर दिया है. सामानों की इन्वेंटरी बन चुकी है और तकनीकी टीम सामानों को प्रदर्शित करने के लिए जाच में जुटी है. जाहिर है अब आयोग के गठन के बाद लोगो कों यकीन हो चला है कि बहुत जल्द गुमनामी बाबा और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के बीच रहस्यों से पर्दा उठ जायेगा.