नई दिल्ली. हाथों की लकीरों में अपने लिए लकीरें खींचने वाले लोग अपने आप में एक बड़ी मिसाल बन जाते हैं ? वे कुछ ऐसा करते हैं जिससे दूसरों में जीने की उम्मीद और हौसला दोनों पैदा होते हैं. ऐसे ही लोग संघर्ष को सही मायने देते हैं.
ऐसी ही एक शख्सियत है फिल्मकार सुभाष घई की जिनकी जिंदगी इसकी शानदार मिसाल है. कहा जाता है सौतेली मां के चलते बचपन में कई तरह की दुत्कार से बचने के लिए उन्होंने अपने दोस्तों के साथ अपनी एक अलग दुनिया तैयार कर ली थी.
नाटक लिखना, ड्रामा करना सुभाष घई की जिंदगी में शौक की तरह हालात की वजह से आए और बाद में कालेज के दिनों में वहीं शौक टैलेंट में बदल गया.
बताया जाता है कि उनके पिता चाहते थे कि वे चार्टड अकाउंटेंट बन जाए और लेकिन वे फिल्म लाइन में ही अपना करियर देखते थे. जिसके चलते उन्होंने एक दिन पिता को अपने दिल की बात बताई तो पिता ने कहा कि अगर ऐसा तो बाकायदा सही रास्ते से जाओ. सुभाष घई पुणे के एफटीआईआई में कोर्स करने पहुंचे और कोर्स पूरा होने के बाद मुंबई पहुंचे.
इंडिया न्यूज के खास शो संघर्ष में मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत आपको बताएंगे कि सुभाष घई के जीवन में क्या उतार-चढ़ाव आए. साथ ही उन्होंने बॉलीवुड की मशहूर हस्तियों की लिस्ट में कैसे अपना नाम दर्ज किया.
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