नई दिल्ली. सड़क दुर्घटना में घायल की मदद करने वाले लोगों को परेशानी से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से इस बारे में बनाई गई गाइडलाइन्स को मंज़ूरी दी है और पूरे देश में इसका पालन किए जाने को कहा है.
अदालत ने सरकार से कहा है कि वो टीवी और अख़बारों में इस बात का प्रचार करे. सुप्रीम कोर्ट ने जिन गाइडलाइन्स को मंज़ूरी दी है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार निम्न नए नियमों का ध्यान प्रशासन को रखना होगा.
1. दुर्घटना के बाद पुलिस या एम्बुलेंस को बुलाने वाले से जबरन उसकी पहचान नहीं पूछी जाएगी.
2. अगर वो पहचान बताए बिना जाना चाहे तो जाने दिया जाएगा.
3. घायल को हॉस्पिटल पहुँचाने वाले शख्स को पहचान बताने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा.
4. हॉस्पिटल घायल का तुरन्त इलाज शुरू करेंगे और पुलिस के आने तक उस शख्स को रुकने के लिए बाध्य नहीं करेंगे.
5. अगर घायल की मदद करने वाला अपनी पहचान बताता है और जांच में मदद को तैयार है तब भी उसे कम से कम परेशान किया जाए.
6. पुलिस या कोर्ट उसका बयान एक ही बार में दर्ज करें. उसे बार-बार पेश होने को नहीं कहा जाएगा.
7. अगर वो शख्स बयान के लिए आने में असमर्थ हो तो उसे वीडियो कांफ्रेसिंग की सुविधा दी जाए या उसकी सुविधा की जगह पर जाकर बयान दर्ज किया जाए.
8. इन गाइडलाइंस में घायलों के इलाज के लिए हॉस्पिटल की जवाबदेही भी तय की गई है.
9. हॉस्पिटल पहुँचने वाले घायल का इलाज न करने वाला डॉक्टर प्रोफेशनल मिसकंडक्ट का दोषी माना जाएगा.
10. हॉस्पिटल अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में बोर्ड लगाएंगे, जिसमें लिखा होगा कि सड़क दुर्घटना में घायल की मदद करने वालों को अस्पताल में परेशान नहीं किया जाएगा
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