नई दिल्ली. उत्तराखंड में महिने भर से चल रहे राजनीतिक संकट के बीच कांग्रेस के बागी 9 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी. सूत्रों के मुताबिक शनिवार देर रात उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने दलबदल कानून के तहत कार्रवाई करते हुए कांग्रेस के सभी 9 बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी है. हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.
इस बारे में जब राज्य की वरिष्ठ मंत्री इंदिरा हृदेयश ने बताया कि उन्हें फिलहाल बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की सूचना नहीं मिली है. स्पीकर की ओर से किसी भी तरह की सूचना मिलना के बाद ही वह इस बारे में कुछ कह सकेंगी. हालांकि सरकार से जुड़े विश्सनीय सूत्रों ने दावा किया है कि कांग्रेस सभी नौ बागी विधायकों की सदस्यता खत्म कर दी गई है.
धारा 144 लगाई गई
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस के बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश विधानसभा स्पीकर से की थी. रावत ने कहा था कि राज्य सरकार को गिराने के लिए बागी विधायक बीजेपी से मिल गए हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उत्तराखंड में धारा 144 भी लगा दी गई है. सभी जिला एसएसपी और डीएम कहा गया है कि वो अपनी अपनी सुविधा से धारा 144 लगाएं. सभी विधायकों के आवास पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है और वहां आईटीबीपी की तैनाती कर दी गई है. बीजेपी और कांग्रेस से अधिकारिक रूप से कहा गया है कि 28 तारीख को अपने कार्यकर्ताओं को एकत्र नहीं होने दें. पूर्व में विधानसभा के लिए जो पास जारी किया गए थे उनहें निरस्त कर दिया गया है. ये नए सिरे से फिर से जारी किए जाएंगे.
कांग्रेस का मोदी सरकार पर आरोप
दूसरी ओर, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र में बीजेपी की सरकार उत्तराखंड की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की साजिश कर रही है. पार्टी की उत्तराखंड प्रभारी अंबिका सोनी ने कहा कि मोदी सरकार राष्ट्रपति शासन के जरिए प्रदेश की सत्ता पर कब्जा करना चाहती है.
राष्ट्रपति शासन का फैसला टला
उत्तराखंड की राजनीति में काफी सियासी घमासान मचा हुआ है. इस घमासान में राष्ट्रपति शासन के विकल्प पर विचार की अटकलों की पृष्ठभूमि में कैबिनेट बैठक हुई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के असम से वापस लौटते ही कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक में शामिल होने के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरूण जेटली समेत कई मंत्री पहुंचे. हालांकि कैबिनेट ने की आपात बैठक में फिलहाल राष्ट्रपति शासन का फैसला टल गया है.