मुंबई. महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने बैन के बावजूद आज महाराष्ट्र के प्रसिद्ध त्र्यंबकेश्वर मंदिर में प्रवेश किया और पूजा की, इसके बाद पुलिस ने तृप्ति को हिरासत में ले लिया. बाहर आने पर तृप्ति ने कहा, मैंने भगवान शिव की पूजा की और कामना की है कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगा बैन खत्म हो. इस दौरान मंदिर परिसर में अफरा-तफरी का माहौल रहा. बड़ी संख्या में स्थानीय महिलाएं नारेबाजी भी कर रही थीं.
पेशवाओं के समय से लगा है बैन
बैन के मुद्दे पर त्र्यंबकेश्वर मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कैलास घुले का कहना है कि यह एक पुरानी परंपरा है. ऐसा नहीं है कि हाल के दिनों में कोई रोक लगाई गई हो. हालांकि, कुंभ के समय में महिलाओं और साध्वियों को गर्भगृह से बाहर रहकर पूजा और दर्शन की इजाजत है. उनका कहना है कि गर्भगृह में महिलाओं द्वारा पूजा-पाठ पर बैन पेशवाओं के समय में लगाया गया था.
‘महिलाएं भी परंपरा नहीं तोड़ना चाहतीं’
कई अन्य पुरोहितों की मानें, तो खुद महिलाएं भी इस परंपरा को तोड़ना नहीं चाहती हैं. पुरुषों को भी प्रतिदिन सुबह छह से सात बजे तक गर्भगृह के मुख्य हिस्से में, जहां शिवलिंग स्थापित है, प्रवेश करने नहीं दिया जाता है.
400 साल पुरानी परंपरा पर चोट
तृप्ति देसाई ने मंदिरों में लैंगिक भेदभाव को लेकर उस समय राष्ट्रीय बहस छेड़ दी थी, जब उन्होंने शनि शिंगणापुर मंदिर के पवित्र चबूतरे पर प्रवेश की कोशिश की थी. इस स्थान पर महिलाओं को पूजा करने की परंपरागत तौर पर अनुमति नहीं है. इस परंपरा के खिलाफ देसाई के नेतृत्व में 400 से अधिक महिलाओं ने 26 जनवरी को प्रदर्शन किया था.