नई दिल्ली. नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा के बीच संबंध जोड़े जाने के मामले में बहुत बड़ा खुलासा हुआ है. फैजाबाद में गुमनामी बाबा के सामानों की इनवेंट्री बनाए जाने के दौरान खोसला आयोग का वो ऑरिजिनल समन मिला है. जिसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाई को भेजा गया था.
ये समन पूछताछ के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाई को खोसला आयोग की तरफ से 80 के दशक में भेजा गया था. खोसला आयोग का गठन जुलाई, 1970 में न्यायमूर्ति जीडी खोसला की अगुवाई में इस बात का पता लगाने के लिए किया गया था कि विमान हादसे में सुभाष चंद्र बोस की मौत का दावा कितना सच है.
अब जब खोसला आयोग का ऑरिजनल समन सामने आ गया है तो सवाल ये उठता है कि ये गुमनामी बाबा के बक्से में कैसे पहुंचा. सिर्फ इतना ही नहीं, गुमनामी बाबा के बक्से से नेताजी से संबंध रखने वाले 10 से अधिक समान मिल चुके हैं. जिसमें जर्मन मेड टाइपराइटर, मेइ इन जर्मनी-दूरबीन, सुभाष चंद्र बोस के चश्मे की तरह का गोल्डन फ्रेम, सुभाष चंद्र बोस की हैंडराइटिंग से काफी हद तक मिलते अक्षर वाले पत्र, सुभाष चंद्र बोस के बेहद निजी फैमिली फोटोग्राफ, आजाद हिंद फौज के खुफिया विभाग के चीफ का सुभाष चंद्र बोस के नाम पत्र, सुभाष चंद्र बोस जिस तरह की घड़ी पहनते थे वैसी तीन घड़ियां.
ये सारे सामान गुमनामी बाबा के बक्से से मिले हैं. गुमनामी बाबा करीब दो दशक तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में रहे. जिन्हें भगवन जी के नाम से भी जाना जाता है. इसी साल 26 फरवरी से गुमनामी बाबा के गोपनीय सामान को एक-एक खंगाला जा रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन समानों को इन्वेंट्री बनाकर फैजाबाद के रामकथा संग्रहालय में रखने का निर्देश दिया है.
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