नई दिल्ली. जवाहर लाल नेहरू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने कहा कि वह जांच कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि प्रशासन ने छात्रों की मांगों पर विचार नहीं किया है. छात्र संघ की उपाध्यक्ष शहला राशिद ने जांच कमेटी में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग करने वाला प्रस्ताव रखा जिसे पारित किया गया.
जेएनयूएसयू ने एक बयान में कहा, “छात्र संघ की मांग के बावजूद आरोपी छात्रों को अभी तक पूरी रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है.” छात्र संघ ने कहा, “आरोपी छात्रों के यह तक नहीं बताया गया है कि उनके खिलाफ आरोप क्या हैं. इस पक्षपातपूर्ण जांच पर हम किसी भी प्रकार की अनुशासनिक कार्रवाई का विरोध करेंगे.”
यूनिवर्सिटी के कुलपति एम. जगदेश कुमार द्वारा गठित जांच कमेटी ने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी मनाने के लिए बीते नौ फरवरी को आयोजित कार्यक्रम के दौरान 21 छात्रों को यूनिवर्सिटी के नियमों व मानदंडों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है. यूनिवर्सिटी के चीफ प्राक्टर के दफ्तर से छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. इस नोटिस का जवाब देने की अवधि को शुक्रवार तक के लिए बढ़ा दी गई. जेएनयूएसयू ने उनकी चिंता का समाधान न निकालने के लिए यूनिवर्सिटी की आलोचना की है.
एक छात्र नेता ने कहा, “छात्र संघ ने उच्चस्तरीय जांच कमेटी के गठन, संदर्भ और कामकाज के मामले पर चिंता जताई है. हमने जेएनयू प्रशासन से इस पर बात की है कि कमेटी ने जांच की प्रक्रिया में स्वाभाविक न्याय के सिद्धांतों का किस प्रकार उल्लंघन किया.”
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रविरोधी नारों को लेकर यूनिवर्सिटी ने जेएनयूएसयू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार व महासचिव रामा नागा तथा छात्रों अनंत प्रकाश नारायण, अनिर्बान भट्टाचार्य, आशुतोष, उमर खालिद, ऐश्वर्या अधिकारी तथा श्वेता राज को निलंबित कर दिया था. निलंबन को हालांकि पिछले सप्ताह वापस ले लिया गया.