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‘प्रभु’ ने स्वीकारा भारतीय रेल की चीन से तुलना नहीं हो सकती

रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने स्वीकार किया कि भारतीय रेल की चीन या अन्य विकसित देशों की रेल से तुलना नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा, "चीन ने रेल में भारी-भरकम राशि खर्च की है. 2009 के बाद से उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का दो फीसदी से अधिक खर्च किया है, जबकि हमारा खर्च जीडीपी का 0.4 फीसदी है."

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  • March 15, 2016 2:42 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने स्वीकार किया कि भारतीय रेल की चीन या अन्य विकसित देशों की रेल से तुलना नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा, “चीन ने रेल में भारी-भरकम राशि खर्च की है. 2009 के बाद से उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का दो फीसदी से अधिक खर्च किया है, जबकि हमारा खर्च जीडीपी का 0.4 फीसदी है.”
 
राज्यसभा में रेल बजट पर बहस का जवाब देते हुए प्रभु ने कहा, “चीन की अर्थव्यवस्था 10,000 अरब डॉलर की है, जबकि हमारी अर्थव्यवस्था 2,000 अरब डॉलर की है. इसलिए दोनों की तुलना नहीं हो सकती है. हमें और निवेश की जरूरत है और हम उसके लिए संसाधन जुटा रहे हैं.”
 
उन्होंने कहा, “कारपोरेटीकरण करने से पहले जर्मन रेल पर 16 अरब डॉलर का कर्ज था, वहीं चीन के रेलवे पर 428 अरब डॉलर का कर्ज था, जो हमारी जीडीपी के 25 फीसदी के बराबर है.” उन्होंने कहा, “इसलिए हम वह नहीं कर पा रहे हैं, जो चीन रेलवे कर रहा है. यहां तक कि जापानी रेल भी जब 72 अरब डॉलर का था, तब उस पर 32 अरब डॉलर का कर्ज था.” 
 
उन्होंने कहा, “रेलवे में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पुराना विचार है. इसे यूपीए सरकार ने 2006 में मंजूरी दे दी थी. हमें सामान्य आय से अलग दूसरे स्रोत से निवेश जुटाना होगा, क्योंकि निवेश जरूरत है.” उन्होंने कहा, “रेलवे पिछले एक साल से कठिन समय से गुजर रहा है और उसके ऊपर अब वेतन आयोग (की सिफारिश) भी है.” उन्होंने कहा, “जब भी वेतन आयोग की सिफारिश लागू होती है, तो संचालन अनुपात बढ़ जाता है, लेकिन यह पहला मौका है, जब यह नहीं घटा है.”
 
उन्होंने कहा, “स्वच्छता बढ़ी है. हमने देशभर में ‘क्लीन माई कोच’ एसएमएस सेवा शुरू की है. हमने बजट में घोषित कार्यक्रमों को लागू करने शुरू कर दिया है.”

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