विश्व को देने के लिए भारत के पास बहुत कुछ है: PM मोदी

आर्ट ऑफ लिविंग के वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि यह कला और संस्कृति का कुंभ मेला है. आर्ट ऑफ लिविंग की वजह से विश्व में भारत की अलग पहचान है. पीएम ने कहा कि भारत के पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है और पूरे विश्व को मानवीय मूल्यों के जरिए जोड़ा जा सकता है. भारत के लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की जरूरत है. पीएम ने कहा कि भारत के लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की जरूरत है.

Advertisement
विश्व को देने के लिए भारत के पास बहुत कुछ है: PM मोदी

Admin

  • March 11, 2016 5:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. आर्ट ऑफ लिविंग के वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि यह कला और संस्कृति का कुंभ मेला है. आर्ट ऑफ लिविंग की वजह से विश्व में भारत की अलग पहचान है. पीएम ने कहा कि भारत के पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है और पूरे विश्व को मानवीय मूल्यों के जरिए जोड़ा जा सकता है. भारत के लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की जरूरत है. पीएम ने कहा कि भारत के लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की जरूरत है. 
 
प्रधानमंत्री ने यमुना खादर क्षेत्र में आयोजित श्री श्री रविशंकर के ऑर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के विश्व संस्कृति कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा, “जब हम जीवन में समस्याओं से जूझते हैं तो हमें आर्ट ऑफ लिविंग की जरूरत पड़ती है. हम किसी एक मुद्दे को लेकर अपने आप से बाहर निकल कर एकजुट होते हैं तो हमें आर्ट ऑफ लिविंग की जरूरत पड़ती है.”
 
उन्होंने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा, “जब कभी सत्ता प्रतिष्ठान वांछित नतीजे नहीं हासिल कर पाते हैं, तब साफ्ट पावर की प्रासंगिकता सामने आती है.” प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस दिशा में अपना योगदान कर सकता है लेकिन इसके लिए जरूरी है कि देशवासी अपनी संस्कृति और परंपरा पर गर्व करें. 
 
पीएम मोदी ने कहा कि हम दुनिया की उन आवश्‍यकताओं को किसी न किसी रूप में पूरा करते रहेंगे. हमें अपनी संस्‍कृति पर अभिमान होना चाहिए लेकिन अगर हम अपनी ही परंपरा और संस्‍कृति की बुराई करते रहेंगे तो बाकी क्‍या करेंगे. खुद को कोसते रहने का मतलब नहीं है.
 
उन्होंने कहा कि यह धरती ऐसी है जहां हर पहर का संगीत अलग है. सुबह का संगीत अलग है तो शाम का अलग है. बाजार में अगर संगीत की दुनिया को खोजने जाएंगे, तो तन को डुलाने वाला संगीत तो बाजार में भरा पड़ा है लेकिन मन को डुलाने वाला संगीत तो भारत में है. दुनिया मन को डुलाने वाला संगीत अब चाहती है.

Tags

Advertisement