आर्ट ऑफ़ लिविंग के कार्यक्रम वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल के आयोजन पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है.
नई दिल्ली. आर्ट ऑफ़ लिविंग के कार्यक्रम वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल के आयोजन पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा के इस बारे में हम महीने भर से सुन रहे हैं, एक महीने से आप कहां थे. आप इस मामले को लेकर एनजीटी के समक्ष अपनी मांग रखें.
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय किसान मज़दूर समिति की याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि एक महीने से इस कार्यक्रम की तैयारियां चल रही हैं, जिनपर काफी पैसा भी खर्च हुआ है. वहां पर ब्रिज बनाये गए हैं और भी बहुत सा निर्माण हुआ है.
कोर्ट ने कहा कि कल से आयोजन शुरू होना है. आप अभी तक कहां थे. ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए एनजीटी एक स्पेशलाइज्ड कोर्ट है. आप अपनी मांग उनके सामने रखें. इस याचिका में कोई मेरिट नहीं है इसलिए सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई नहीं करेगी.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल में 35 लाख लोग आएंगे. जिससे किसानों की फसलों का काफी नुकसान होगा. जिस जगह आयोजन हो रहा है, वहां बहुत से किसान खेती भी करते हैं.
35 लाख लोगों के आने से यहां काफी गंदगी मल इत्यादि नदी और इसके आस-पास के इलाके में फैलेगी. इसके साथ ही लोगों की सुरक्षा भी मुख्य मुद्दा होगा. इसलिए आयोजन पर रोक लगाई जानी चाहिए.
इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुंभ में इलाहाबाद में दो करोड लोग आते हैं, वहां भी गंदगी होती है. मगर साफ़ भी हो जाती है. इस वजह से वहां तो कभी कुम्भ का आयोजन नहीं रोक गया. वहीं लोगों की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस इंतजाम करने में सक्षम है. इसके अलावा अगर किसानों की फसल खराब होती है तो वो मुआवजा मांग सकते हैं.