नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आएसएस) के कार्यकर्ता अब जल्द ही 90 साल से चली आ रहे अपने पारंपरिक खाकी हॉफ निक्कर को छोड़कर पेंट में नजर आ सकते हैं. राजस्थान के नागौर जिले में 11 मार्च से शुरू हो रही आरएसएस की एक बैठक में इस पर फैसला हो सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संगठन खाकी हाफपैंट की जगह नीली फुलपैंट को अपनी पोशाक के रूप में स्वीकार कर सकता है. युवाओं की पसंद को देखते हुए संगठन कुछ बड़े बदलाव करना चाहता है.
सहमति न बनने पर टाला गया था मुद्दा
इस बात का संकेत देते हुए आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा कि वर्दी में बदलाव अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के एजेंडा में है. इसके अलावा वैद्य जानकारी देते हुए यह भी कहा कि 2010 में वर्दी में बदलाव का मुद्दा एक बैठक में उठाया गया था. लेकिन आम सहमति न बन पाने के कारण इसे 2015 तक टाल दिया गया था. लेकिन आगानी बैठक में इस पर फैसला लिया जा सकता है.
पहले आर्मी की तरह थे पोशाक
स्थापना के समय आरएसएस कैडरों के लिए आर्मी से मिलती-जुलती पोशाक निर्धारित की गयी थी. संगठन का शुरुआती गणवेश खाकी शर्ट और खाकी हाफपैंट था. शर्ट में पुलिस और सेना की तरह दो पॉकेट होते थे. बाद में खाकी शर्ट की जगह सफेद शर्ट को पोशाक में शामिल किया गया. ये बदलाव संघ के दूसरे प्रमुख एमएस गोलवरकर गुरूजी ने किया था.
ABPS है RSS की प्रमुख इकाई
बता दें कि अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा आरएसएस की सर्वोच्च नीति-निर्माण इकाई है. संगठन के तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिध सभा (एबीपीएस) के समापन दिवस यानी 13 मार्च को इसकी घोषणा की जा सकती है. राजस्थान के नागौर में 11 मार्च से शुरू हो रही इस सभा में हर साल पूरे प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर के सभी नेता शामिल होते हैं.