लखनऊ. अखिलेश सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे के लिए गठित जस्टिस विष्णु सहाय ने 700 पन्नों की रिपोर्ट रविवार को विधानसभा में पेश की. 2013 में गठित जांच आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक अखिलेश सरकार को मामले में क्लीन चिट दी गई है. साथ ही बीजेपी और अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं. इस आयोग का गठन 9 सितंबर 2013 को किया गया था. आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए दो महीने का समय दिया गया था, और कुल सात बार इस आयोग के कार्यावधि में बढ़ोतरी की गई.
क्या है रिपोर्ट में?
मीडिया ने बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया
आयोग ने ये भी कहा है, सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया ने दंगे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया. इसकी वजह से हालात और ज्यादा खराब हो गए. मीडिया ने अपने कर्तव्यों का सही से पालन नहीं किया. मीडिया अपने दायित्वों से बच नहीं सकता, लेकिन सोशल या प्रिंट मीडिया को दंगों के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.
लोकल इंटेलीजेंस यूनिट की असफलता
मुजफ्फरनगर दंगे के लिए गठित जस्टिस विष्णु सहाय की 700 पन्नों की इस रिपोर्ट में अखिलेश सरकार को क्लीन चिट दी है. रिपोर्ट में कहा गया कि भड़काऊ भाषणों के लिए सीधे तौर पर कोई नेता जिम्मेदार नहीं है. ज्यादातर महापंचायत में लोकल इंटेलीजेंस यूनिट की असफलता है. जिसकी वजह से पंचायत में आने वाली भीड़ का सही आंकलन नहीं हो सका.
संगीत सोम पर सवाल उठाए
इस रिपोर्ट में किसी भी नेता के भड़कऊं भाषाण को जिम्मेदार नहीं माना गया है बल्कि स्थानीय पंचायत और पुलिस को इस दंगे का जिम्मेदार बताया गया है. रिपोर्ट में बीजेपी विधायक संगीत सोम की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि संगीत सोम समेत 200 लोगों पर फेक वीडियो के मामले जांच चल रही है. सरकार की तरफ से इस पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है.
तत्कालीन SSP सुभाषचंद्र दूबे दंगों के लिए जिम्मेदार
इस बीच दंगे में कुछ अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खडे़ किए हैं, रिपोर्ट के मुताबिक तत्कालीन SSP सुभाषचंद्र दूबे और स्थानीय इंटेलीजेंस इंस्पेक्टर प्रबल प्रताप सिंह को सीधे तौर पर दंगों के लिए जिम्मेदार माना गया है. इसके साथ ही रिपोर्ट में तत्कालीन जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया है. आयोग ने दंगे भड़कने के 14 कारण गिनाए हैं. बीएपी और बीजेपी के नेताओं के बारे में इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि उनके खिलाफ दंगा भड़काने का मुकदमा दर्ज है, इसलिए आयोग उनके खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 20(2) के तहत सरकार को कोई कार्रवाई करने के लिए विधिक रूप से नहीं कह सकता.
क्या है मुजफ्फरनगर दंगा?
मुजफ्फरनगर में साल 2013 में बड़ा समुदायिक दंगा हुआ था. जिसमें 60 लोगों की मौत हो गई थी और 40,000 लोग बेघर हो गए थे. अभी भी मुजफ्फरनगर से बेघर हुए लोग शरणार्थी कैंप में रह रहे हैं. मुजफ्फरनगर को लेकर कुल 567 मुकदमे दर्ज किए गए हैं.