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क्या छात्र नेता के आड़ में कन्हैया सियासी मकसद साध रहा है?

इस देश में कन्हैया कुमार को लेकर चर्चा है और सवाल ये उठ रहा है कि क्या कन्हैया सियासी साजिशों का शिकार है या सचमुच कन्हैया देश विरोधी तत्वों की पैरोकारी कर रहा है. कन्हैया मीडिया के सामने आकर बार-बार सफाई दे रहा है या फिर किसी एजेंडे को लेकर मीडिया का फायदा उठाने की फिराक में है.

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  • March 6, 2016 8:57 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. देश में जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. क्या कन्हैया सियासी साजिशों का शिकार है या सचमुच वह देश विरोधी ताकतों के खिलाफ आवाज उठा रहा है? अगर देशद्रोह मामले पर कन्हैया की जमानत के बाद उनके बयानों पर गौर किया जाए तो उनसे जुड़ी कई तरह की बातें सामने निकलकर आती है.
 
इंडिया न्यूज शो अर्ध सत्य में इंडिया न्यूज के मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत बताते हैं कि अगर हाल ही में आप कन्हैया के दो बयानों पर गौर करें तो पहले बयान में वह अपने आप को नेता नहीं बताता जबकि दूसरे बयान में वह नेताओं वाली बाते करता है
 
पहला बयान: 
कन्हैया ने अपने पहले बयान में कहा था कि मैं नेता नहीं हूं, विधार्थी हूं, हमारे कैंपस के कुछ विधार्थियों ने मुझे अपना प्रतिनिधि चुना है. इससे ज्यादा मैं अभी कुछ नहीं सोच रहा हूं. 
 
दूसरा बयान:
अपने दूसरे बयान में कन्हैया ने कहा कि हमारे देश के कुछ नीति-निर्माता कहते हैं कि काला धन आएगा, हर-हर मोदी, मंहगाई कम होगी. आपने बहुत मंहगाई सहन कर ली अब मत सहन कीजिए.
 
क्या है कन्हैया के पीछे का सच?
कन्हैया कुमार की शिक्षा और राजनीति की बात की जाए तो कन्हैया कुमार का जन्म बिहार के बेगूसराय जिले के एक गांव में हुआ. यह गांव तेघरा विधानसभा क्षेत्र में आता है जहां सीपीआई को काफी समर्थन है. इसका असर कन्हैया पर पड़ा है. कन्हैया एआईएसएफ(ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन) का नेता है जो कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का छात्र संगठन है. कन्हैया की पढ़ाई बरौनी के आरकेसी हाई स्कूल में हुई.
 
2002 में कन्हैया ने पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला लिया, जहां से उनके छात्र राजनीति की शुरुआत हुई. कन्हैया भूगोल में ग्रेजुएट हैं और फिलहाल पीएचडी कर रहे हैं. 2015 में, कन्हैया कुमार एआईएसएफ के ऐसे पहले सदस्य बने जो जेएनयू में छात्र संघ के अध्यक्ष पद के लिए चुने गए. उन्होंने इस पद के लिए एआईएसए, एबीवीपी, एसएफआई और एनएसयूआई के सदस्यों को हराया.
 
टारगेट है पश्चिम बंगाल चुनाव!
कन्हैया की इस अचानक उभरती हुई छवि के पीछे ये कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में कम्यूनिस्ट पार्टी को चुनाव लड़ना है जिसको लेकर वह अपनी आधार को फिर से मजबूत कर रही है. इस बीच कन्हैया दलितों  के साथ-साथ वामदलों के मतदाताओं को मजबूत कर रहा है. यहां दलितो के 10,000 से ज्यादा गांव है.  माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि बंगाल चुनाव में कन्हैया कुमार समेत सभी लेफ्ट समर्थक सभी छात्र पार्टी के लिए कैंपेन करेंगे.  येचुरी ने कहा, पहली बार देश लेफ्ट के यूथ का पावर देखेगा. 
 
वीडियो पर क्लिक करके देखिए पूरा शो:

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