नई दिल्ली. जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार गुरुवार को तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद जेएनयू में भाषण दिया था. इस भाषण की कुछ राजनेताओं ने जमकर प्रशंसा की और कुछ नेता इस पर बोलना भी जरूरी नहीं समझते. केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू का कहना है कि कन्हैया पब्लिसिटी और राजनीति में आने के लिए यह सब कर रहा है, लेकिन उसकी पंसदीदा पार्टी सिर्फ सिंगल डिजिट में आती है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कन्हैया कुमार के भाषण को शानदार बताया और उसकी जमकर तारीफ की. इस बीच केजरीवाल ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री मोदी को निशाना साधते हुए कहा कि मैंने मोदी जी को पहले ही आगाह किया था कि वह छात्रों से पंगा ना लें.
कन्हैया ने क्या कहा?
कन्हैया ने जेएनयू में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि उनके प्रधानमंत्री मोदी के साथ कई मतभेद थे लेकिन वह उनके ‘सत्यमेव जयते’ वाले ट्वीट से सहमत हैं जो उन्होंने जेएनयू विवाद पर लोकसभा में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के उग्र लहजे वाले भाषण पर किया था क्योंकि यह संविधान में है. नारेबाजी और जोरदार तालियों के बीच अपने भाषण में कन्हैया ने तंज कसते हुए कहा कि मेरे प्रधानमंत्री के साथ कई मतभेद हैं लेकिन मैं उनके सत्यमेव जयते के ट्वीट से सहमत हूं क्योंकि यह शब्द हमारे संविधान में है. उन्होंने कहा कि हम भारत से आजादी नहीं चाहते हैं. हम भारत के भीतर आजादी चाहते हैं. तिहाड़ जेल में बंद रहने के दौरान अपने साथ खड़े रहने वालों को धन्यवाद देते हुए कुमार ने कहा कि उन्हें भारत के संविधान और न्यायपालिका पर भरोसा है.
कन्हैया ने कहा कि इस बार सिस्टम को पढ़ा नहीं झेला है. जेएनयू ने सही को सही और गलत को गलत कहा. इससे पहले कन्हैया ने सदन में बैठे लोगों और पुलिस का धन्यवाद भी किया. साथ ही कहा कि हम लोग एबीवीपी को दुश्मन की तरह नहीं विपक्ष की तरह देखते हैं. कन्हैया ने मन की बात से लेकर हर हर मोदी, चुनावी वादों, जाट आरक्षण, मोदी के ट्वीट जैसे तमाम मुद्दे उठाए और केंद्र को घेरा. कन्हैया ने जेएनयू पर हमला एक योजना के तहत है क्योंकि वे यूजीसी के विरोध में प्रदर्शन को ख़त्म करना चाहते हैं और रोहित वेमुला के लिए न्याय की लड़ाई को धीमा करना चाहते हैं. इस देश की सत्ता ने जब जब अत्याचार किया है, जेएनयू से बुंलद आवाज़ आई है, आप हमारी लड़ाई को धीमा नहीं कर सकते. जेएनयू के साथ खड़े होने के लिए कन्हैया ने सभी को धन्यवाद कहा.
6 माह की मिली अंतरिम जमानत
जेएनयू परिसर में कथित तौर पर भारत-विरोधी नारे लगाने के चलते देशद्रोह के मामले में कन्हैया कुमार को छह महीने की अंतरिम जमानत दी गई है. दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने कन्हैया को 10 हजार रुपये का निजी मुचलका जमा करने के लिए कहा था.
क्या है मामला ?
9 फरवरी को जेएनयू में द ‘कंट्री विदाउट ए पोस्ट ऑफिस’ नाम से एक विरोध मार्च का आयोजन किया गया था. जेएनयू के गंगा ढाबा से शुरू हुए इस विरोध मार्च में आतंकी अफजल गुरु और मकबूल भट की फांसी को न्यायिक हत्या बताया गया. इस दौरान आतंकियों के समर्थन और कश्मीर को भारत से अलग करने की मांग को लेकर नारेबाज़ी की गई.