नई दिल्ली. सूप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पीवी रेड्डी ने संसद में हमले के दोषी और फांसी की सजा पा चुके अफजल गुरू की सजा को लेकर कहा है कि अफजल की मौत को ‘न्यायिक हत्या’ कहना सीमा लांघने जैसा है. इसके अलावा रेड्डी ने यह भी कहा कि कोर्ट के फैसलों की सकारात्मक आलोचना का स्वागत है.
जस्टिस रेड्डी ने यह भी कहा कि फैसला खुद बोल रहा है. जो लोग अफजल की शहादत दिवस मना रहे हैं, उन्हें आलोचना या टिप्पणी करने से पहले पूरा फैसला पढ़ना चाहिए. रेड्डी का कहना है कि आलोचना सभ्य और जनहित में होना चाहिए.
दो सदस्यीय बेंच के प्रमुख थे रेड्डी
रेड्डी अफजल गुरू को मौत का फैसला सुनाने वाली दो सदस्यीय बेंच के प्रमुख थे. जज रेड्डी ने साल 2005 में अफजल गुरू को संसद पर हमले का दोषी माना गया था. जिसके चलते उसे सजा सुनाई गई थी.
दोनों ने बरकरार रखी था सजा
इसके अलावा रेड्डी और पीपी नावलेकर ने अफजल की मौत के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था. बेंच ने शौकत हुसैन गुरु की मौत की सजा को 10 साल की कैद में तब्दीफल कर दिया था और एसएआर गिलानी व अफसान गुरु उर्फ नवजोत संधू को दोषमुक्त कर दिया था. जबकि उस वक्तफ ट्रायल जज एसएन ढींगरा ने अफजल, शौकत और गिलानी को मौत की सजा सुनाई थी.
क्या है मामला?
हाल ही में जेएनयू के कुछ स्टूडेंट्स ने यूपीए के शासनकाल में हुई अफजल गुरु की फांसी को ‘न्यायिक हत्या’ करार दिया था और कहा था कि अफजल की उचित सुनवाई नहीं हुई थी. इसके बाद यूपीए के शासनकाल में गृह और वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने भी संसद पर हमले में अफजल का हाथ होने पर ‘गंभीर शक’ जाहिर किया था.