RSS के एजेंट और पॉलिटिकल ब्लैकमेलर हैं इमाम बुखारी: आजम

उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां ने जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी को 'ब्लैकमेलर' बताते हुए उन पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बुखारी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. उन्हें जामा मस्जिद में नमाज पढ़नी चाहिए, लेकिन वह आरएसएस के एजेंट और सबसे बड़े पॉलिटिकल ब्लैकमेलर हैं.

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RSS के एजेंट और पॉलिटिकल ब्लैकमेलर हैं इमाम बुखारी: आजम

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  • February 22, 2016 4:06 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
रामपुर. उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां ने जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी को ‘ब्लैकमेलर’ बताते हुए उन पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बुखारी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. उन्हें जामा मस्जिद में नमाज पढ़नी चाहिए, लेकिन वह आरएसएस के एजेंट और सबसे बड़े पॉलिटिकल ब्लैकमेलर हैं.
 
‘बुखारी पॉलिटिकल ब्लैकमेलर और पापी हैं’
आजम ने कहा, “इमाम बुखारी पॉलिटिकल ब्लैकमेलर और पापी हैं. अपना काम निकलवाने के लिए वह किसी भी नेता की शान में कसीदे पढ़ सकते हैं.” आजम ने कहा कि इमाम बुखारी ने जबरन एक हिंदू लड़की को मुसलमान बनाया है. वह बहुत बड़े पापी हैं. 
 
‘तीन महीनों में पूरे करें वादे’
बता दें कि जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने शनिवार को लखनऊ में प्रेसवार्ता की थी. इस दौरान उन्होंने अखिलेश सरकार को तीन महीने का अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि सरकार मुसलमानों से किए गए वादों को तीन महीनों में पूरा करे, वरना यूपी के मुसलमानों से समर्थन की आस न रखे. बुखारी ने कहा था कि अगर तीन महीने में सभी वादे नहीं पूरे हुए तो वे मुस्लिमों को समाजवादी सरकार का साथ देने से मना कर देंगे. उनके मुताबिक, मुसलमानों के लिए अभी तक किसी भी पार्टी ने कुछ नहीं किया है. सबने केवल हवा-हवाई वादे किए हैं. इमाम बुखारी ने अपना पैंतरा बदलते हुए एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर अपनी बातें रखी हैं. 
 
‘ताजमहल गुलामी की निशानी’
आजम खां का मानना है कि अंग्रेजों और मुगलों की हुकूमत में ताजमहल, राष्ट्रपति भवन और संसद भवन को बनाकर हुक्मरानों ने खजाने की बबार्दी की. ताजमहल को गिराने में मैं सबसे आगे रहूंगा. अंग्रेजों और मुगलों की हुकूमत की छाप अभी भी आपके सामने है. जिस समय हमारे देश में लोगों के पास कुछ खाने को नहीं था, उस समय हुक्मरानों ने ताजमहल बनवाया. यह खजाने की बर्बादी थी.” उन्होंने कहा कि सत्ता की गद्दियों पर बैठे लोग देश के खजाने का इस्तेमाल अपने हितों के लिए करते रहे, जो गलत था.

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