नई दिल्ली. क्या बोलने की आजादी देश के खिलाफ नारेबाज़ी की छूट भी देती है ? ये सवाल जेएनयू कैंपस से शुरू हुआ और अब जम्मू से बेंगलुरु और कोलकाता से अहमदाबाद तक यही शोर गूंज रहा है. जेएनयू कैंपस में देश विरोधी नारेबाज़ी के कर्ता-धर्ता फरार हैं.
पुलिस ने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष को गिरफ्तार किया, जिन्हें अदालत ने जेल भेजा है और पूरा विपक्ष कन्हैया को रिहा कराने के लिए सड़क पर है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी तो राष्ट्रपति तक से गुहार लगा चुके हैं कि छात्रों पर संघ की विचारधारा थोपने की कोशिश हो रही है.
वहीं बीजेपी और एबीवीपी के समर्थक देशद्रोहियों को सबक सिखाने के लिए तिरंगा लेकर हुंकार भर रहे हैं. देश में जेएनयू की घटना पर जो माहौल है, अब वही बड़ी बहस का मुद्दा है कि आखिर देशद्रोह बनाम देशभक्ति पर पूरे देश में घमासान क्यों ? क्या ये नए तरह के सियासी ध्रुवीकरण की कोशिश है ?
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