नई दिल्ली. जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के विवाद पर केंद्र के निपटने के तरीके को लेकर छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की जेएनयू इकाई के तीन पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया है. इस बात की पुष्टि एबीवीपी की जेएनयू इकाई के संयुक्त सचिव प्रदाप नरवाल ने की.
नरवाल का कहना है कि उन्होंने पार्टी छोड़ दी है. इसके अलावा यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज (एसएसएस) की एबीवीपी इकाई के अध्यक्ष राहुल यादव, सचिव अंकित हंस ने भी पार्टी छोड़ने की बात कही है.
संयुक्त बयान जारी कर दी जानकारी
तीनों नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि उन्होंने एबीवीपी छोड़ने का फैसला किया है, क्योंकि केन्द्र सरकार जिस तरह से इन मुद्दों से निपट रही है उससे उनका जबर्दस्त मतभेद है. उन्होंने यह भी कहा कि सवाल पूछने, विचारों के दमन और समूचे वाम का राष्ट्र विरोधी के तौर ब्रांडिंग करने के बीच फर्क है.
‘हमला करना कोई राष्ट्रवाद नहीं’
पटियाला हाउस अदालत परिसर में सोमवार को मीडियाकर्मियों और जेएनयू के छात्रों औऱ शिक्षकों के साथ और कन्हैया कुमार पर हुए हमले को लेकर नाराजगी जताते हुए आरोप लगाया कि सरकार दक्षिणपंथी धड़े की फासीवादी ताकतों की कार्रवाई को वैध करार दे रही है. इसके अलावा छात्रों ने इसे कोई राष्ट्रवाद नहीं बल्कि गुंडागर्दी करार देते हुए कहा है कि आप देश के नाम पर यह सब नहीं कर सकते हैं.राष्ट्रवाद और गुंडागर्दी में फर्क है.
कानून के मुताबिक मिलनी चाहिए सजा
इसके अलावा बयान में यह भी कहा गया कि यूनिवर्सिटी परिसर में नौ फरवरी को लगे राष्ट्र विरोधी नारे दुर्भाग्यपूर्ण और भावनाओं को आहत करने वाले थे. इसके लिए चाहे जो भी जिम्मेदार हो उसे कानून के मुताबिक जरूर सजा मिलनी चाहिए. हालांकि इस पर एबीवीपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि संगठन को अभी तक उनका इस्तीफा नहीं मिला है.