नई दिल्ली. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों के लिए निजी क्षेत्र की नौकरियों में 27 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की है. केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत काम करने वाली वैधानिक संस्था एनसीबीसी ने सिफारिश की है कि एक कानून पारित किया जाए जिसके तहत व्यापारिक संस्थानों, अस्पतालों, ट्रस्टों सहित अन्य निजी संस्थाओं में ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया जाए.
बता दें कि आयोग ने मंत्रालय और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को इस संबंध में पत्र लिखा है. आयोग की सिफारिश में कहा गया है कि प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां अपनी तरक्की के लिए सरकार से हर मुमकिन फायदा ले रही हैं, लेकिन एससी-एसटी और OBC श्रेणी के पर्याप्त उम्मीदवारों को नौकरियों में नहीं रख रही है. इस कारण प्राइवेट सेक्टर में हर स्तर पर नियुक्तियों में 27 फीसदी जगह OBC यानी अन्य पिछड़ा वर्ग को दिया जाना चाहिए.
‘आधिकारिक स्तर पर गठित कर दी गई है समिति’
इस संबंध में सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि आधिकारिक स्तर की समिति गठित कर दी गई है. इस संबंध में क्या किया जा सकता है, इस पर समिति उद्योगपतियों और कारपोरेट जगत के प्रमुखों से संपर्क साध रही है.
लंबे समय से चल रही है चर्चा
गहलोत ने यह भी बताया कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए समय-समय पर समिति की बैठकें होती रही है. इसके लिए वातावरण बनता नहीं दिख रहा है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से भी यह मुद्द जुड़ा हुआ है और इस पर लंबे समय से चर्चा चल रही है. संबंधित क्षेत्र से परामर्श लिए बगैर सिफारिश को अमलीजामा पहनाना संभव नहीं है.
सरकारी क्षेत्र में बहुत कम मौके
एनसीबीसी के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि सरकारी क्षेत्र में बहुत कम मौके रह गए हैं. इसलिए इस श्रेणी के लोगों को नौकरियां मुहैया कराने के लिए निजी क्षेत्र का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
प्राइवेट सेक्टर ने उठाए सवाल
प्राइवेट सेक्टर इसे सही कदम नहीं ठहरा रहा है. बायोकॉन की एमडी किरण मजूमदार शॉ का कहना है कि सरकार इस तरह की नीति प्राइवेट सेक्टर पर जबरदस्ती नहीं थोप सकती जिसका नकारात्मक असर हो. उन्होंने यह भी कहा कि अगर पिछड़े वर्ग के लोग मेरिट के आधार पर आते हैं तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. उनका कहना है कि वो सिर्फ मेरिट के आधार पर लोगों को चुनते हैं.