LIVE: मुंबई हमले से पहले 7 बार भारत आया था डेविड हेडली

मुंबई. 26/11 हमलों की साजिश रचने वाले आतंकी डेविड हेडली की अमेरिका की शिकागो जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये गवाही जारी है. शिकागो से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पहली बार हेडली इस मामले में गवाही दे रहा है. हमले को लेकर कोर्ट में हेडली से सवाल-जवाब जारी हैं. ऐसा पहली बार है कि विदेश की किसी जेल में बंद आतंकी की पेशी भारतीय कोर्ट में हो रही है.
डेविड हेडली ने मुंबई की कोर्ट को बताया है कि वह आठ बार मुंबई आया था. सात बार हमले से पहले और एक बार हमले के बाद. आतंकी अबू जुंदाल के वकील ने कोर्ट से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही इस पेशी और गवाही को रोकने की मांग की है.
हेडली ने किया खुलासा
डेविड हेडली ने कोर्ट के सामने कबूल किया कि उसने पासपोर्ट से अपना नाम तक बदलवा लिया था. उसने अपना नाम दाउद गिलानी से डेविड हेडली किया ताकि वो भारत में आसानी से आ सके. उसकी मदद साजिद मीर नाम के शख्स ने की उसे भारतीय पासपोर्ट उपलब्ध कराया था.
जुंदाल के लिए अहम् है हेडली की गवाही
26/11 हमलों की साजिश रचने के आरोपी लश्कर आतंकी अबू जुंदाल के खिलाफ चल रहे मुकदमे में हेडली की गवाही काफी अहम है. उसके खिलाफ आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध, हत्या आदि आरोप लगे हैं. आतंकी अबू जुंदाल पर यह भी आरोप है कि मुंबई में हुई आतंकी हमलों के दौरान वह देश के बाहर बने एक कंट्रोल रूम से आतंकियों को निर्देश दे रहा था. उसे सऊदी अरब में गिरफ्तार किया गया था और 2012 में प्रत्यर्पित करके भारत लाया गया था. फिलहाल वह आर्थर रोड जेल में बंद है.
PAK हुआ बेनकाब
डेविड हेडली ने कोर्ट से अपने बचपन, स्कूली दिनों, कॉलेज की पढ़ाई से लेकर पाकिस्तान में दी गई आतंकी ट्रेनिंग का भी जिक्र किया है. इसके पहले रविवार को हेडली ने कबूला था कि हमले में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और उसकी फौज का हाथ था. उसके इस बयान से पाकिस्तान एक बार फिर पूरी दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है.
हेडली ने NIA की जांच में कबूला सच
एनआईए की जांच में हेडली ने हमलों में आईएसआईए और पाकिस्तानी फौज का हाथ होने की बात कबूली. उसने कबूला कि हमले को हाफिज सईद के इशारे पर अंजाम दिया गया. आईएसआई की मदद से हमले किए गए. रेकी के लिए पैसा भी दिया गया.
हेडली के कबूलनामे में और क्या?
दिल्ली में उपराष्ट्रपति के घर, इंडिया गेट और CBI ऑफिस की भी रेकी की.
PAK में बैठे आईएसआई के मेजर इकबाल और समीर अली उसके हैंडलर थे.
लश्कर के जकी उर रहमान लखवी का हैंडलर ISI का ब्रिगेडियर रिवाज था.
लखवी की गिरफ्तारी के बाद ISI चीफ शुजा पाशा उससे मिलने भी गए थे.
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