पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि जब लोकतंत्र की हत्या हो रही हो तो कोर्ट मूकदर्शक बना नहीं रह सकता.
नई दिल्ली. पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि जब लोकतंत्र की हत्या हो रही हो तो कोर्ट मूकदर्शक बना नहीं रह सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब बीजेपी के विधायकों के वकील ने कहा कि अदालत राज्यपाल के निर्णय पर सुनवाई नहीं कर सकती. इससे पहले, मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश जारी किया था कि वह राष्ट्र्पति शासन लगाए जाने के बाद जब्त सभी सरकारी दस्तावेजों की कॉपी निवर्तमान मुख्यमंत्री नबाम तुकी, मंत्रियों और संसदीय सचिवों को दें.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस आदेश को वापस ले लिया था, जिसमें कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. अदालत ने अपना यह नोटिस केंद्र सरकार की उस दलील को सुनने के बाद वापस लिया था जिसमें केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 361 के मुताबिक राष्ट्रपति और राज्यपाल को नोटिस नहीं जारी किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल चाहें तो स्वेच्छा से जवाब दाखिल कर सकते हैं.