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नेपाल भूकंप: 15,000 तक पहुंच सकती है मृतकों की संख्या

नेपाल भूकंप त्रासदी में अबतक लगभग 6 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 11 हजार से ज्यादा लोग घायल हैं. सेना प्रमुख ने इस आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या 15,000 पहुंच सकने की आशंका जताई है. नेपाल में शनिवार को आये भूकम्प के बाद राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है. 

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  • May 1, 2015 4:01 am Asia/KolkataIST, Updated 10 years ago

काठमांडू. नेपाल भूकंप त्रासदी में अबतक लगभग 6 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 11 हजार से ज्यादा लोग घायल हैं. सेना प्रमुख ने इस आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या 15,000 पहुंच सकने की आशंका जताई है. नेपाल में शनिवार को आये भूकम्प के बाद राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है. 

आपको बता दें कि नेपाल के कुछ इलाकों में बारिश और फिर तेज़ धूप की वजह से सडकों पर जीवन जीने को मज़बूर लोगों की दिक्कतों में कई गुना इजाफा हो गया है. इसको देखते हुए भारत सरकार ने गुरूवार को 8450 टेंट नेपाल भिजवाया है. इसमें से 750 टेंट हवाई जहाज़ से नेपाल पहुंचाए गए हैं, वहीँ बाकी रोड और रेल मार्ग से ले जाये जा रहे हैं. विनाशकारी भूकंप से तबाह हुए नेपाल में गुरूवार बारिश वाले दिन मलबे से एक किशोर और एक महिला को जिंदा निकाले जाने के वक्त थोड़ी खुशी का लम्हा आया, जबकि तीन हल्के झटकों से लोग सहमें रहें.
 
एक लंबी खामोशी के बीच उस वक्त खुशी की लहर दौड़ गई जब 15 साल के पेम्बा लामा को सात मंजिला भवन के मलबे से जिंदा निकाला गया जिससे और लोगों के जीवित निकालने जाने की आशा बढ़ गई. वहीं, बारिश एवं रिक्टर पैमाने पर 3.9 और 4. 7 की तीव्रता से आए झटकों के चलते राहत कार्य प्रभावित हुआ. नुवाकोट निवासी धूल से सने लामा को पांच घंटे के बचाव अभियान के बाद सुरक्षित निकाला जा सका और उसे एक अस्पताल ले जाया गया. भक्तपुर शहर में मलबे से चार महीने के एक शिशु को जिंदा निकाले जाने के बाद यह किशोर करिश्मे के तहत बचने वाले एक और व्यक्ति है.
 
खबरों के मुताबिक कुछ घंटों बाद करीब 30 साल की महिला कृष्णा देवी खडका को कुछ दूरी पर मलबे से निकाला गया. वह काठमांडो के मुख्य बस टर्मिनल के पास वाले इलाके में फंसी हुई थी जहां काफी सारे होटल हैं. बचावकर्मी अब भी सुदूर पहाड़ी इलाकों में पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जहां भारी बारिश और भूस्खलन के कारण बचाव कार्य बाधित हो रहा है . भूकंप में करीब छह हजार लोग मारे जा चुके हैं और कम से कम 11 हजार लोग घायल हुए हैं. सुबह भारी बारिश होने के कारण हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सके. देश में हताशा और गुस्सा बढ़ गया जहां लोगों के पुलिस के साथ संघर्ष करने और पानी तथा खाने-पीने के सामान के लिए छीना-झपटी के दृश्य देखे गये.
 
अधिकारियों ने कहा है कि देश में सहायता हासिल करने और उसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने में उन्हें कठिनाई आ रही हैं. चूंकि राहत और बचाव अभियान अब तक काठमांडो घाटी तक सीमित है इसलिए दूसरे प्रभावित जिलों में बचाव अभियान के लिए प्रशिक्षित लोगों की सख्त जरूरत है. इस बीच, नेपाल सेना प्रमुख जनरल गौरव राणा ने एनबीसी न्यूज को बताया, ‘‘हमारा अनुमान अच्छा नहीं नजर आ रहा. हमें लग रहा है कि 10 से 15 हजार लोग मारे गए होंगे.’’ वह राष्ट्रव्यापी बचाव कोशिश का नेतृत्व कर रहे हैं.
 
राणा ने स्वीकार किया कि जबरदस्त भूकंप के बाद की परिस्थिति से अधिकारी संघर्ष कर रहे हैं जिनमें रोग का खतरा और बचाव कोशिश की गति को लेकर जनाक्रोश शामिल है. उन्होंने कहा, ‘‘रोष है और हम इसे देख रहे हैं. हां, महामारी का खतरा है और हम इसे देख रहे हैं.’’ राणा ने कहा कि वह समझ सकते हैं कि कितने लोग सरकार की प्रतिक्रिया से गुस्से में होंगे. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सेना पुलिस के साथ मिलकर स्थानीय हॉट स्पॉट की पहचान कर रही है और चीजों को राजनीतिक रूप से नियंत्रित कर रही है.
 
प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने सोमवार को कहा था कि त्रासदी में मृतकों की संख्या 10,000 तक जा सकती है. उधर, वाशिंगटन से प्राप्त एएफपी की खबर के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि वह नेपाल को पुननिर्माण में मदद के लिए सहायता राशि देने को तैयार है. आईएमएफ के प्रवक्ता गैरी राइस ने कहा, ‘‘यथाशीघ्र आईएमएफ की एक टीम शनिवार को आए भूकंप के बाद की स्थिति का आंकलन करेगी और सरकार के वित्तीय जरूरतों को तय करेगी.’’ आईएमएफ का सहयोग आमतौर पर सरकारों को वित्तीय और अदायगी जरूरतों के लिए सहायता करने का होता है.
 
वहीं, रोम से प्राप्त एएफपी की खबर के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने आज नेपाल के किसानों को 80 लाख डॉलर के अनुदान की फौरन जरूरत होने की अपील की है ताकि वे विनाशकारी भूकंप से उबर सकें. भूकंप से देश की खाद्य आपूर्ति को जोखिम पैदा हो गया है. संगठन ने कहा कि मुख्य चिंता किसानों को यह सुनिश्चित कराना है कि वे धान बुआई के मौसम को नहीं गंवाएं जो मई में शुरू होने की उम्मीद है.

IANS

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