शनि शिंगणापुर विवादः महिला की आस्था पर धर्म की ठेकेदारी हावी है ?

शिंगणापुर (अहमदनगर). शिंगणापुर में शनि चबूतरे पर जाकर शनिदेव को तेल अर्पित करने के लिए चल रहा भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड का आंदोलन अब धर्मगुरुओं के लिए धर्म संकट बन गया है. द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती नहीं चाहते कि महिलाओं को शनि पूजा करने का अधिकार मिले, जबकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महिलाओं का समर्थन कर रहे हैं.

शनि ग्रह से दूर रहें महिलाएं- शंकराचार्य

शिंगणापुर में महिलाओं की शनि पूजा विवाद में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि परंपरा का पालन होना चाहिए. शिंगणापुर में यथास्थिति कायम रखा जाना चाहिए. शंकराचार्य ने कहा कि ये सब सनातन धर्म को नष्ट करने की साज़िश का हिस्सा है. उन्होंने शनि को देवता की बजाय सिर्फ ग्रह बताते हुए महिलाओं को शनि के सामने ना जाने की नसीहत भी दी.

दूसरे शनि मंदिरों में पूजा कर सकती हैं महिलाएं !

इंडिया न्यूज़ पर टुनाइट विद दीपक चौरसिया में बुधवार को इस मसले पर बड़ी बहस हुई थी, जिसमें आचार्य राजकुमार शास्त्री ने शिंगणापुर में चल रहे आंदोलन का विरोध किया. हालांकि उन्होंने महिलाओं से ये भी अपील कर डाली कि वो शिंगणापुर के अलावा किसी भी शनि मंदिर में पूजा करने जा सकती हैं. खुद उनके (आचार्य राजकुमार शास्त्री के) शनि मंदिर में भी महिलाएं पूजा कर सकती हैं.

शिंगणापुर में बातचीत से बनेगी बात ?

उधर शिंगणापुर में भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड और शनि मंदिर ट्रस्ट के बीच बातचीत से विवाद सुलझाने की कोशिशें जारी हैं. आरएसएस के विचारक एमजी वैद्य का कहना है कि बातचीत से ही मसला सुलझ सकता है. उन्होंने महिलाओं को शनि पूजा करने की पैरवी भी की.

परंपरा की दुहाई या धर्म की ठेकेदारी ?

अब ये बड़ी बहस का मुद्दा है कि महिलाओं को शनि पूजा करनी चाहिए या नहीं, इस पर संत समाज क्यों बंट गया ? सिर्फ शिंगणापुर में महिलाओं के पूजा करने पर पाबंदी, बाकी शनि मंदिरों में क्यों नहीं ? शनि अगर देवता नहीं, सिर्फ ग्रह है, तो क्या ग्रह का असर महिलाओं पर नहीं होता ? क्या महिलाओं के धार्मिक अधिकारों पर धर्म की ठेकेदारी हावी हो गई है ?

अब क्या कहते हैं धर्मगुरु?

शिंगणापुर विवाद में अब देश के जाने-माने धर्म गुरु क्या सोचते हैं, इसी मुद्दे पर टुनाइट विद दीपक चौरसिया में आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा जी, जूना अखाड़ा के महंत नारायण गिरि, आध्यात्मिक गुरु स्वामी दीपांकर, साध्वी सोनिया, आचार्य विवेक विराट मुदगल और पंडित राजकुमार शास्त्री के साथ बड़ी बहस हुई. संत समाज की तरह इस पैनल में स्वामी धर्माचार्यों की राय भी इस सवाल पर बंटी हुई है कि महिलाओं को शनि पूजा का अधिकार देने में हर्ज क्या है?

वीडियो में देखिए पूरी बहस

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