अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर केंद्र सरकार और राज्यपाल ने अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया है. कांग्रेस की तरफ से लगाई गई याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
नई दिल्ली. अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर केंद्र सरकार और राज्यपाल ने अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया है. कांग्रेस की तरफ से लगाई गई याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
गो हत्या के दावे खारिज
गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में उन दावों को खारिज किया है जिसमें कहा गया था कि राज्यपाल ने राज्य में गो हत्या को लेकर राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी.
राज्य में हालात बिगड़े- एमएचए
गृह मंत्रालय ने कहा है कि सभी नियमों और कानूनों को ध्यान में रखकर ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा है. मंत्रालय ने राज्य में बिगड़ते हालात को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हालात ऐसे हो गए है कि राज्य भवन को भी निशाना बनाया जा सकता है.
सीएम ने की वित्तीय गड़बड़ियां- एमएचए
मंत्रालय ने राज्य के सीएम नबाम तुकी पर आरोप लगाते हुए कहा कि सीएम ने राज्य में कई वित्तीय गड़बड़ियां की हैं. एमएचए ने कहा कि सीएम ने राज्य के हालात के बारे में गवर्नर को नहीं बताया. राज्य में हालात बिगड़ते जा रहे थे और लॉ एंड आर्डर पूरी तरह से काबू से बाहर हो गया था.
बहुमत खो चुकी थी सरकार– एमएचए
गृह मंत्रालय ने ये भी कहा है कि वर्तमान सरकार बहुमत खो चुकी थी. स्पीकर ने अल्पमत की सरकार के साथ मिलकर लोकतंत्र के सिधांतो को पराजित करने की कोशिश की है. संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री के पास बहुमत होना चाहिए.
सीएम ने नहीं दिया राज्यपाल के पत्रों का जवाब– एमएचए
इतना ही नहीं जवाब में ये भी लिखा गया है कि शासन वयवस्था से सम्बंधित राज्यपाल के पत्रों का मुख्यमंत्री ने जवाब नहीं दिया. राज्यभवन का भी मुख्यमंत्री और उनके समर्थकों ने घेराव किया लेकिन किसी को भी गिरफ़्तार नहीं किया गया.
एमएचए ने कहा कि राज्यपाल को सार्वजनिक तौर पर अपमान किया गया है. विधानसभा में ताला लगाने का मतलब संविधान पर ताला लगाना है.
16 और 17 दिसंबर को भी की गई थी सिफारिश- राज्यपाल
राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा कि 16 और 17 दिसंबर को पहली बार राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की गई थी. उसके बाद 15 जनवरी को राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की गई थी.