नई दिल्ली. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 67वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि भारत ऐसा देश है जो तेजी से विकास कर रहा है. साथ ही देश की आर्थिक वृद्धि विश्व में एक मिसाल बन रही है.
उन्होंने आगे कहा, “हांलाकि साल 2015 चुनौतियों भरा साल रहा है इस दौरान विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी रही और वस्तु बाजारों पर असमंजस छाया रहा.
उन्होंने कहा कि “2015 में हम प्रकृति की कृपा से भी वंचित रहे. भारत के अधिकतर हिस्सों में भीषण सूखा पड़ा, जबकि अन्य हिस्से विनाशकारी बाढ़ की चपेट में आ गए. मौसम के असामान्य हालात ने हमारे कृषि उत्पादन को प्रभावित किया. ग्रामीण रोजगार और आमदनी पर बुरा असर पड़ा.”
संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि ‘पिछला साल खास रहा, क्योंकि 30 साल बाद देश की जनता ने एक पूर्ण बहुमत की सरकार चुनीं.ष्ट्रपति ने राजनीति, समाज, महिला सुरक्षा, स्वच्छता, रक्षा हर मुद्दे पर बात कही.
स्थाई सरकार पर बोले प्रणब
पिछला साल कई तरह से खास रहा है. खासतौर पर इसलिए कि तीन दशकों के बाद जनता ने स्थाई सरकार के लिए, एक अकेले दल को बहुमत देते हुए, सत्ता में लाने के लिए मतदान किया है और इस प्रक्रिया में देश के शासन को गठबंधन की राजनीति की मजबूरियों से मुक्त किया है.
इन चुनावों के परिणामों ने चुनी हुई सरकार को, नीतियों के निर्माण और इन नीतियों के क्रियान्वयन के लिए कानून बनाकर जनता के प्रति अपनी वचनबद्धता को पूरा करने का जनादेश दिया है. मतदाता ने अपना कार्य पूरा कर दिया है, अब यह चुने हुए लोगों का दायित्व है कि वह इस भरोसे का सम्मान करे. यह मत एक स्वच्छ, कुशल, कारगर, लैंगिक संवेदनायुक्त, पारदर्शी, जवाबदेह और नागरिक अनुकूल शासन के लिए था.