काठमांडू. भीषण जलजले के बाद नेपाल को लगातार विदेशी सहायता मिल रही है. लेकिन, इस सहायता को भूकंप प्रभावितों तक पहुंचाने में उसे समस्या हो रही है. इसीलिए नेपाल ने न्यूजीलैंड और ताइवान से सहायता लेने से इंकार कर दिया है. वहीं एक मीडिया रपट में बताया गया है कि न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री मर्रे मैक्कली ने कहा कि नेपाल को उसकी सहायता की जरूरत नहीं है.
नेपाल ने मित्र देशों से आग्रह किया है कि वे सहायता भेजने से पहले उसकी पूर्व स्वीकृति ले लें. अधिकारियों ने कहा कि सरकारी एजेंसियों में तालमेल की कमी के कारण सहायता और सहयोग व राहत सामग्री वितरित करने में बाधा आ रही है. नेपाल में भीषण जलजले के बाद सबसे पहले राहत सामग्री पहुंचाने वाला देश भारत था.
हालांकि इसके द्वारा भेजी गई राहत एवं बचाव सामग्रियों का अभी भी पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जा सका है. हजारों किलोग्राम राहत सामग्री जैसे दवाएं, सूखे खाद्य पदार्थ, तंबू और अन्य समान शनिवार से ही त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर रखे हुए हैं. सूचना एवं संचार मामलों के मंत्री मिनेंद्र रिजाल ने स्वीकार्य किया कि सरकार की ओर से कमियां हैं और उन्हें बुधवार तक सुधार लिया जाएगा. परिणामस्वरूप पीड़ितों ने राहत सामग्री की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किए.
खराब मौसम के कारण कुछ जिलों तक पहुंचना कठिन हो गया है, जिससे बचाव और राहत वितरण प्रभावित हुआ है. सरकार ने काठमांडू में दो दर्जन स्थानों पर राहत सामग्री संग्रहित कर रखी है लेकिन पीड़ितों तक नहीं पहुंच पा रही है. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता लक्ष्मी प्रसाद ढकाल ने कहा, ‘हम अपना हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, हां कुछ कमियां भी हैं.’
अधिकारियों ने कहा कि नेपाल ने हाल के वर्षो में शनिवार को आए 7.9 तीव्रता के भूकंप का कभी सामना नहीं किया और यही कारण है कि भूकंप के बाद आई समस्याओं से निपटने में इसे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि यह समस्याएं बुनयादी ढांचे, तकनीकी विशेषज्ञता और ज्ञान की कमी, किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए तैयारियों की कमी से उत्पन्न हुई है.
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