नई दिल्ली. 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से केंद्र के पास मौजूद गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किया जाएगा. इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में नेताजी के परिजनों को भी आमंत्रित किया गया है.
नेताजी के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय की तऱफ से आमंत्रित किए जाने के बाद 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल 22 जनवरी को दिल्ली के लिए रवाना होगा. चंद्र बोस ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में शोधकर्ता और कार्यकर्ता भी रहेंगे.
पश्चिम बंगाल सरकार ने भी की थी फाइलें सार्वजनिक
इसके अलावा भी पश्चिम बंगाल सरकार ने बोस से जुड़ी 64 अति गोपनीय फाइलें सार्वजनिक की थी. इनके आधार पर कहा जा रहा है कि नेताजी 1945 के बाद भी जीवित थे. नेताजी के जीवन पर लिखी गई किताबों में दावा किया जाता रहा है कि ताइवान के ताईहोकू हवाई अड्डे पर 18 अगस्त 1945 को हुए विमान हादसे में नेताजी के मरने की झूठी ख़बर फैलाई गई थी.
किताबों के अनुसार ऐसा कोई हादसा हुआ ही नहीं था. इन किताबों में “बैक फ्रॉम डेड इनसाइड द सुभाष बोस मिस्ट्री” (2005), “सीआईए ‘ज आई ऑन साउथ एशिया” (2008), “इंडिया ‘ज बिगेस्ट कवरअप”(2012) और “नो सेक्रेट” (2013) प्रमुख हैं.
कुल कितनी फाइलें ?
सरकार के पास बोस की मौत से जुड़ी कुल 130 फाइलें हैं जो क्लासिफाइड होनी हैं. कार्यालय के पास 37 सीक्रेट फाइलें हैं जिनमें से 33 कार्यालय ने आर्काइव को सौंप दी हैं. पश्चिम बंगाल सरकार के खुफिया लॉकर में 55 फाइलें थीं. 9 फाइलें आईबी के पास थीं. ये सभी 64 फाइलें इसी साल सितंबर में पश्चिम बंगाल सरकार ने पब्लिक कर दी थीं.
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