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बेटियां: मायावती का बहन जी बनने तक का सफर

मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 में दिल्ली में एक दलित परिवार में हुआ था. पिता प्रभु दयाल भारतीय डाक-तार विभाग में काम करते थे. माता रामरती अनपढ़ महिला थीं, लेकिन उन्होंने अपनी सभी बच्चों की शिक्षा में रूचि ली और सबको योग्य भी बनाया.

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  • January 18, 2016 1:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago

नई दिल्ली. मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 में दिल्ली में एक दलित परिवार में हुआ था. पिता प्रभु दयाल भारतीय डाक-तार विभाग में काम करते थे. माता रामरती अनपढ़ महिला थीं, लेकिन उन्होंने अपनी सभी बच्चों की शिक्षा में रूचि ली और सबको योग्य भी बनाया.

मायावती का पैतृक गांव बादलपुर है जो उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में स्थित है. बीए करने के बाद उन्होंने दिल्ली के कालिन्दी कॉलेज से एलएलबी किया था.

राजनीतिक सफर

मायावती 1977 में कांशीराम के सम्पर्क में आईं, यहीं से उन्होंने एक नेत्री बनने का फैसला किया 1984 में जब कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी बनाई तो मायावती टीम में कोर मेंबर थीं. 1984 में वह बिजनौर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनी गईं.

मुलायम के साथ किया गठबंधन साल 1993 वह साल बना जब पहली बार बसपा ने सत्ता में भागीदारी की. मुलायम सिंह भले ही मुख्यमंत्री बने, लेकिन सत्ता की चाभी बसपा के ही हाथ में रही, परंतु यह दौर ज्यादा दिन नहीं चला.

1995 में पहली बार बनीं मुख्यमंत्री

मायावती ने साल 1995 में मुलायम सिंह यादव सरकार से समर्थन वापस ले लिया और 3 जून को बीजेपी के सहयोग से पहली बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं. हालांकि, यह दौर ज्यादा दिन तक नहीं चला. अक्टूबर में ही बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया.

देश की पहली दलित सीएम महिला 1995 में मायावती पहली बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं. इसी के साथ उनके नाम दो रिकॉर्ड दर्ज हुए. एक तो प्रदेश की सबसे युवा सीएम का और दूसरा देश की पहली महिला दलित मुख्यमंत्री का.

कई बार बीजेपी के समर्थन से बनाई सरकार

बीजेपी के समर्थन से बनीं सीएम वैसे तो मायावती हरदम ही बीजेपी की राजनीति के खिलाफ रहीं, लेकिन 1997 और 2002 में मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने बीजेपी का समर्थन लेने से गुरेज नहीं किया, जिसके चलते वह आलोचकों के निशाने पर भी रहीं.

सत्ता पाने के लिए माया ने दलितों और सवर्णों को बांटा एक दौर ऐसा भी आया जब बसपा की राजनीति ने सवर्ण और दलितों को अलग-अगल खांचों के बीच बांट दिया. इसके बावजूद बसपा इस स्थिति में नहीं पहुंच पाई कि अकेले अपने बूते यूपी की सत्ता हासिल कर सके.

( वीडियो में देखें मायावती का राजनीतिक सफर )

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