काठमांडू. नेपाल के भूकंप में अब तक 5000 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. प्रधानमंत्री सुशील कोईराला ने मृतकों की संख्या 10,000 तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की है. सुशील कोईराला ने मंगलवार को भारत, चीन और अमेरिका के राजदूतों से कहा कि विनाशकारी भूकंप में मृतकों की संख्या 10,000 तक पहुंच सकती है.
नेपाल में भयानक भूकंप के बाद रोज़ तबाही की नई तस्वीरें सामने आ रही हैं. काठमांडू शहर में सन्नाटा पसरा है, सिर्फ अपनों को ढूंढते रोते लोगों और मशीनों की आवाज़ सन्नाटे को तोड़ती है. जगह-जगह इमारतें मलबों में तब्दील हो गईं हैं. ड्रोन से ली गई तस्वीरों में काठमांडू शहर मानो पूरा ध्वस्त नज़र आता है. इस दौरान नेपाली सेना एवं अन्य देशों से आए राहत एवं बचाव कर्मी लगातार मलबे के ढेर में दबे जिंदा बचे लोगों की खोज में लगे हुए हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से लगातार मिल रही मदद के बीच धीरे-धीरे स्पष्ट होता जा रहा है कि यह त्रासदी नेपाल में 1934 में आए विनाशकारी भूकंप की त्रासदी से भी बड़ी होने वाली है. 1934 में आए भूकंप में नेपाल में 8,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी.
वहीं इस भूकंप में घायलों की तादाद 8,000 के पार हो गई है. घायलों के इलाज के लिए डॉक्टरों, उपकरणों और दवाओं की कमी हो रही है, हालांकि शनिवार के भूकंप के बाद लगातार आ रहे भूकंप के झटकों से राहत और बचाव के काम में लगातार परेशानी हो रही है. वहीं नेपाल में लोग शनिवार के भूकंप के बाद से ही पूरी रात टेंट में गुजारने को मज़बूर हैं, जिससे उन्हें रोजमर्रा की चीज़ों की भी दिक्कत आ रही है, जबकि विदेशी नागरिक अपने देश लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं जिससे यहां के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई है.
एक अधिकारी ने कहा, ‘हमें टेंट, कंबल, गद्दे और 800 अलग अलग दवाओं की फिलहाल सख्त जरूरत है.’ कई देशों के बचाव दल खोजी कुत्तों और आधुनिक उपकरणों की मदद से जीवित लोगों का पता लगाने के काम में लगे हुए हैं. भूकंप के बाद अभी भी सैकड़ों लोग लापता हैं. यहां बचाव एवं राहत कार्य में भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है.’वर्ल्ड विजन’ सहायता एजेंसी के प्रवक्ता मैट डेरवैस ने बताया, ‘लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण गांव प्रभावित हुये हैं और यह असामान्य नहीं है कि पत्थरों के गिरने के कारण 200, 300 या एक 1000 तक की आबादी वाले पूरे के पूरे गांव पूरी तरफ से दफन हो गये हों.’
अब तक भारत के 2,500 लोगों को बाहर निकाला गया है और बड़ी संख्या में लोग त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जमा हैं ताकि वे व्यावसायिक और विशेष रक्षा विमानों से स्वदेश लौट सकें. इनमें भारतीय नागरिकों की तादाद सबसे अधिक है. भारी भीड़ को देखते हुए महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और घायल हुए लोगों को प्राथमिका दी जा रही है. लगातार आ रहे सहायता विमानों के कारण काठमांडु हवाई अड्डे पर पार्किंग के लिए स्थान नहीं बचा है. कई विमानों को उतरने के लिए इजाजत का इंतजार करना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा है कि नेपाल में पानी और खाने की किल्लत हो गई है और करीब दस लाख कमजोर और कुपोषित बच्चों को तत्काल मानवीय सहायता की जरूरत है.
IANS
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