नई दिल्ली. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 शुक्रवार से लागू हो गया. एक्ट में बदलाव कर प्रावधान किया गया है कि अब 18 साल से कम उम्र के नाबालिग को बच्चा कहा जाएगा अभी तक उसे जुवेनाइल कहा जाता था. एक्ट की धारा-15 में प्रावधान किया गया है कि 16 से 18 साल की उम्र के बच्चे जो गंभीर अपराध में लिप्त हैं वैसे मामले में जेजे बोर्ड के सामने बच्चे को पेश किया जाएगा और जेजे बोर्ड उस मामले का आंकलन करेगा और जेजे बोर्ड के पास यह विकल्प होगा कि वह मामले को जरूरी समझे तो उसे चिल्ड्रेन कोर्ट ट्रांसफर कर सकता है.
ट्रायल या फिर फैसले के दौरान चाइल्ड प्लेस ऑफ सेफ्टी में रहेगा और 21 साल बाद दोबारा से उसके बारे में आंकलन किया जाएगा और इसके बाद या तो चाइल्ड को प्रोबेशन पर छोड़ा जा सकता है या अगर वह नहीं सुधरा है तो उसे जेल भेजा जा सकता है. गंभीर अपराध का मतलब रेप और मर्डर जैसे मामले से है. यह प्रावधान ऐसे बच्चों में डर पैदा करने के लिए किया गया है ताकि पीड़ित के अधिकार सुरक्षित हों.
फांसी और उम्रकैद की सजा नहीं हो सकती
कानून के जानकर मानते है की जेजे बोर्ड के सामने जब गंभीर मामले के 16 साल से 18 साल के चाइल्ड को पेश किया जाएगा तो वह उसके मेंटल हेल्थ का आंकलन करेंगे. इस दौरान साइकॉलिस्ट और अन्य एक्सपर्ट की ओपिनियन ली जाएगी और फिर अगर जेजे बोर्ड यह समझती है कि चाइल्ड का मेंटलहेल्थ अपराध की गंभीरता को समझता है तो मामले को चिल्ड्रेन कोर्ट (सेशन कोर्ट) भेजा जाएगा और फिर वहां ट्रायल चलेगा. धारा-21 कहता है कि मामला चाहे कितना भी गंभीर क्यों न हो चाइल्ड को उम्रकैद या फांसी की सजा नहीं दी सकती.
बच्चे से भीख मंगवाने वाले को 5 साल कैद
धारा-76 के तहत प्रावधान किया गया है कि अगर कोई शख्स चाइल्ड से भीख मंगवाता है या भीख मंगवाने के लिए अपने पास रखता है या इस्तेमाल करता है तो वैसे शख्स को दोषी पाए जाने पर पांच साल तक कैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा हो सकती है. पहले यह इस तरह के अपराध के मामले में तीन साल कैद की सजा का प्रावधान था.
बच्चे को तंबाकू व शराब देने वाले को 7 साल कैद
धारा-77 में प्रावधान है कि अगर कोई शख्स बच्चे को शराब देता है, ड्रग्स देता है या फिर तंबाकू देता है तो वैसे मामले में अपराधी को 7 साल तक कैद की सजा और एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है. पहले इस मामले में 3 साल कैद की सजा का प्रावधान था. वहीं धारा-78 के तहत प्रावधान किया गया है कि अगर कोई शख्स बच्चे के जरिये शराब, ड्रग्स सप्लाई करवाता है या फिर स्मगलिंग करवाता है तो वैसे मामले में दोखी पाए जाने पर दोषी को 7 साल तक कैद और एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है.
बच्चे से मज़दूरी कराने वाले को 5 साल की सजा
धारा-79 के मुताबिक अगर कोई शख्स बच्चे का शोषण करता है या फिर बंधुआ मजदूरी करवाता है तो वैसे मामले में दोषी को 5 साल तक कैद और एक लाख रुपये जुर्माना हो सकता है. वहीं धारा-80 के तहत प्रावधान है कि अगर कोई शख्स बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बच्चो को एडप्ट करता है तो वैसे शख्स को दोषी पाएजाने पर 3 साल तक कैद या एक लाख रुपये तक जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है. अब चाइल्ड ऑफेंडर के मामले में नए प्रावधान के तहत केस चलेगा.
पिछले साल 7 मई को लोकसभा और 22 दिसंबर को राज्यसभा से यह बिल पास हुआ था और राष्ट्रपति ने 31 दिसंबर को इस पर मुहर लगा दी थी.