नई दिल्ली. मैगी नूडल्स में मानकों से ज्यादा एमएसजी पाए जाने के मामले में नेस्ले इंडिया के खिलाफ एफएसएसएआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मैसूर लैब को आदेश देते हुए 4 हफ्ते में जवाब मांगा है कि दोबारा लिए गए सैंपल में लेड और MSG तय मानक में हैं या नहीं.
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि मैगी बच्चों और नौजवानों में खासी लोकप्रिय है इसलिए नई पीढी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. हालांकि कोर्ट सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर है.
क्या है एफएसएसएआई की दलील
एफएसएसएआई की दलील है कि सैंपल नेस्ले ने ही लैब को दिए जबकि किसी स्वतंत्र एजेंसी को सैंपल लेने चाहिए थे. इसके अलावा एफएसएसएआई ने कहा है कि मान्यता प्राप्त लेब में ही नमूनों की टेस्टिंग होनी चाहिए.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने ‘मैगी’ नूडल्स के सैंपल्स को फिर से जांच के लिए मैसूर की लैब में भेजे जाने का आदेश दिया था और नेस्ले को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. मामले की अगली सुनवाई 5 अप्रैल को होगी.
क्या है मामला ?
दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने नेस्ले इंडिया की एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए मैगी से बैन हटा लिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले को एफएसएसएआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
बता दें कि पिछसे साल जून में खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण ने मैगी की सभी नौ किस्मों को बाजार से हटाने, उसका उत्पादन रोकने और निर्यात बंद करने का आदेश दे दिया था. प्राधिकरण ने कहा था कि मैगी के नमूने स्वास्थ्य के लिए खतरनाक पाए गए हैं.
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