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हिमालय रेंज में आने वाला है एक और बड़ा भूकंप

नेपाल में भूकंप के बाद अब वैज्ञानिकों का कहना है कि यह इस क्षेत्र में कुछ सालों का आखिरी भूकंप नहीं है. इसका मतलब साफ़ है कि अभी इस इलाके को और भूकंप का सामना करना पड़ सकता है. साइसमेक डेटा ऐनालिसिस से पता चलता है कि दुनिया तीव्र साइसमेक गतिविधियों के 15 साल के पीरियड के बीच में है और यह मामला 2018-20 तक खिंच सकता है। इससे बड़े भूंकप की आशंका बनती है, जो 9 रिक्टर पैमाने तक हो सकता है.

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  • April 28, 2015 5:35 am Asia/KolkataIST, Updated 10 years ago

नई दिल्ली. नेपाल में भूकंप के बाद अब वैज्ञानिकों का कहना है कि यह इस क्षेत्र में कुछ सालों का आखिरी भूकंप नहीं है. इसका मतलब साफ़ है कि अभी इस इलाके को और भूकंप का सामना करना पड़ सकता है. साइसमेक डेटा ऐनालिसिस से पता चलता है कि दुनिया तीव्र साइसमेक गतिविधियों के 15 साल के पीरियड के बीच में है और यह मामला 2018-20 तक खिंच सकता है। इससे बड़े भूंकप की आशंका बनती है, जो 9 रिक्टर पैमाने तक हो सकता है.

अंग्रेजी अख़बार इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार सेंट्रल हिमालय रेंज में फिलहाल टेक्टॉनिक दबाव ज्यादा है और ज्यादातर वैज्ञानिक पहले ही इसे अगले बड़े भूकंप वाले इलाके के तौर पर चिन्हित कर चुके हैं. तमाम संस्थानों के वैज्ञानिक हिमाचल प्रदेश से लेकर पश्चिमी नेपाल के हिस्सों की पहचान भूकंप की आशंका वाले इलाके के तौर पर कर चुके हैं. हैदराबाद के नैशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के चीफ साइंटिस्ट डॉ आर के चड्ढा कहते हैं, ‘भूकंप या इसकी तीव्रता की भविष्यवाणी करने का फिलहाल कोई तरीका नहीं है, लेकिन पिछले 150 साल के साइसमेक डेटा इस इलाके में बड़े भूकंप की आशंका की तरफ इशारा करते हैं.’

उन्होंने बताया, ‘जब हम पिछले 150 साल के साइसमेक डेटा का आकलन करते हैं, तो पता चलता है कि तीव्र साइसमेक गतिविधियों के 15 साल के पीरियड में बड़े भूकंप की आशंका होती है, जबकि इसके बाद 30-40 साल के पीरियड में साइसमेक गतिविधियां शांत रहती हैं. लिहाजा, 1905 से 1920 और 1952 से 1965 हाई साइसमेक गतिविधियों के दो पीरियड हैं. तीसरा साइकल 2004 में सुमात्रा भूकंप के साथ शुरू हुआ और हमें इसके 2018-20 तक जारी रहने की उम्मीद है. इस मान्यता के आधार पर 9 रिक्टर पैमाने पर भूकंप की आशंका है और यह हिमालय रेंज से लेकर दुनिया के किसी भी हिस्से में आ सकता है.’ उनका यह भी कहना था कि इस बात का संकेत है कि हिमालय रेंज के कुछ हिस्सों में काफी दबाव बन रहा है.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु में सेंटर फॉर अर्थ साइंसेज की प्रोफेसर के राजेंद्रन भी हिमालय के सेंट्रल सेगमेंट में दबाव बनने की तरफ इशारा करती हैं. उन्होंने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘लंबे समय से रिसर्चर यह बता रहे हैं कि हिमाचल के सेंट्रल सेगमेंट में लंबे समय से बड़े भूकंप का आना बाकी है. दरअसल दबाव बन रहा है, लेकिन 1950 के असम भूकंप के बाद यह दबाव रिलीज नहीं हुआ है. अभी जो कुछ भी हुआ है, वह सिर्फ 200 किलोमीटर के रेंज में है, जबकि हिमालय की रेंज 2,500 किलोमीटर तक है. निकट भविष्य में यहां फिर से इतने बड़े भूकंप की आशंका नहीं हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बाकी रीजन सुरक्षित हैं या वहां खतरा ज्यादा है.’ भारतीय मौसम विभाग में सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी में वैज्ञानिक पी आर वैद्य ने बताया कि नेपाल के पश्चिमी इलाके में निकट भविष्य या बाद में भूकंप आ सकता है.

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