नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में खेले जाने वाले खेल जलीकट्टू पर फिर रोक लगा दी है. बता दें कि कुछ दिन पहले ही केंद्र ने अधिसूचना जारी कर इस खेल से रोक हटाई थी.
केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा है कि ये एक पुरानी प्रथा और संस्कृति है जिसे खत्म नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि ये स्पेन की तरह बैलों की लडाई नहीं है बल्कि एक खेल है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर 4 हफ्ते बाद सुनवाई करेगा.
बता दें कि जानवरों पर अत्याचार का हवाला देकर इस पारंपरिक खेल पर पहले बैन लगा दिया गया था. इस खेल से रोक हटाने के केन्द्र के फ़ैसले के ख़िलाफ़ एनिमल वलफेयर बोर्ड सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. जल्लीकुट्टी पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में 7 याचिका दाखिल की गईं थी.
एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने की थी रोक लगाने की मांग
एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार की 7 जनवरी की अधिसूचना के ख़िलाफ़ कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में तमिलनाडु के जल्लीकट्टू खेल और बैलों की रेस को जानवरों के प्रति हिंसा बताया गया है और उस पर रोक की मांग की गई थी.
सीएम जयललिता ने मोदी को लिखा था पत्र
इस खेल से प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा था. बता दें कि 2014 में भी सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से सांडों को काबू करने के इस खेल पर प्रतिबंध लगा दिया था
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