नई दिल्ली: भारत द्वारा शनिवार को वर्चुअल प्रारूप पर आयोजित तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में चीन और पाकिस्तान को निमंत्रण नहीं थे, जिसमें दुनियाभर के 123 देश शामिल हुए थे.
नई दिल्ली: भारत द्वारा शनिवार को वर्चुअल प्रारूप पर आयोजित तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में चीन और पाकिस्तान को निमंत्रण नहीं थे, जिसमें दुनियाभर के 123 देश शामिल हुए थे. वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शिखर सम्मेलन के समापन के बाद एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में इसकी पुष्टि की, जो ग्लोबल साउथ या विकासशील देशों के सामने आने वाली चुनौतियों से एकजुट होकर निपटने पर केंद्रित था.
विदेश मंत्री के अनुसार इसमें सरकार के प्रमुख स्तर पर इक्कीस देशों का प्रतिनिधित्व किया गया, जबकि 34 विदेश मंत्री इसमें शामिल हुए. विदेश मंत्रियों के अलावा 118 मंत्री भी शिखर सम्मेलन में शामिल हुए, जिसमें 10 मंत्रिस्तरीय सत्र शामिल थे. वहीं पिछले साल जी20 अध्यक्ष के रूप में भारत ने ग्लोबल साउथ को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से समावेशी विकास, डिजिटल नवाचार, जलवायु लचीलापन और न्यायसंगत वैश्विक स्वास्थ्य पहुंच जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया.
जिन देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों ने तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में भाग लिया, वे हैं बांग्लादेश, बेलारूस, भूटान, चिली, अल साल्वाडोर, इथियोपिया, फिजी, ग्रेनेडा, गुयाना, लाओ पीडीआर, मार्शल द्वीप, मॉरीशस, मंगोलिया, नेपाल, ओमान, श्रीलंका, सूरीनाम, ताजिकिस्तान, तिमोर लेस्ते, उरुग्वे और वियतनाम.
जयशंकर ने शिखर सम्मेलन का विवरण साझा करते हुए कहा कि शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन की चुनौती प्रमुखता से उठी, जबकि कई नेताओं ने कर्ज के बोझ और नई प्रौद्योगिकियों की चुनौतियों के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि वैश्विक शासन संरचना में सुधार की आवश्यकता पर एकमत राय थी, उन्होंने ये भी कहा कि विचार-विमर्श के दौरान गाजा की स्थिति पर भी चर्चा हुई.
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