काठमांडू. नेपाल में आए भयानक भूकंप से तबाही में अब तक 4,310 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है. जबकि लगभग 8000 लोग घायल हुए हैं. वहीं भारत में अब तक भूकंप से 72 लोगों की जान चली गई है. इन खबरों के बीच आज सुबह नेपाल में फिर से करीब 5 बजकर 5 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए.
सुबह करीब 9 सेकेंड तक भूकंप के झटके महसूस किए. हालांकि अच्छी बात ये रही कि ये भूकंप के झटके पहले के मुकाबले कल रिक्टर स्केल के थे. आज सुबह 4.5 रिक्टर स्केल के झटके महसूस किए गए. वहीं बीती रात 9 बजकर 21 मिनट पर काठमांडू और उसके आसपास फिर से कुछ भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 4.2 की रही थी. हालांकि बीती रात इससे किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है.
ईंधन और दवाओं की आपूर्ति भी काफी कम है. कुछ ऐसे ही हालात काठमांडू के उपनगरीय और दूसरे ग्रामीण इलाकों में भी है. नेपाल के शीर्ष नौकरशाह लीला मणि पौडेल ने कहा कि तत्काल और बड़ी चुनौती राहत प्रदान करना है. उन्होंने कहा, ‘हम दूसरे देशों से आग्रह करते हैं कि वे हमे विशेष राहत सामाग्री और चिकित्सा दल भेजें. हमें इस संकट से निपटने के लिए अधिक विदेशी विशेषज्ञता की जरूरत है.’
इस अधिकारी ने कहा, ‘हमें टेंट, कंबल, गद्दे और 800 अलग अलग दवाओं की फिलहाल सख्त जरूरत है.’ कई देशों के बचाव दल खोजी कुत्तों और आधुनिक उपकरणों की मदद से जीवित लोगों का पता लगाने के काम में लगे हुए हैं. भूकंप के बाद अभी भी सैकड़ों लोग लापता हैं. यहां बचाव एवं राहत कार्य में भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है.
अधिकारियों का कहना है कि भूकंप में मरने वालों की संख्या 4,000 को पार कर गई है. सिर्फ काठमांडो घाटी में 1,053 लोग और सिंधुपाल चौक में 875 लोगों के मारे जाने की खबर है. अधिकारियों ने कहा कि काठमांडो और भूकंप प्रभावित कुछ दूसरे इलाकों में मलबों में अभी भी बहुत सारे लोग दबे हुए हैं. ऐसे में यह आशंका है कि मृतकों की संख्या 5,000 के पार जा सकती है. अधिकारियों और सहायता एजेंसियों ने सचेत किया है कि पश्चिमी नेपाल के दूर-दराज वाले पहाड़ी इलाकों में बचाव दलों के पहुंचने के बाद हताहतों की संख्या में और इजाफा दिख सकता है.
‘वर्ल्ड विजन’ सहायता एजेंसी के प्रवक्ता मैट डेरवैस ने बताया, ‘लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण गांव प्रभावित हुये हैं और यह असामान्य नहीं है कि पत्थरों के गिरने के कारण 200, 300 या एक 1000 तक की आबादी वाले पूरे के पूरे गांव पूरी तरफ से दफन हो गये हों.’ भूकंप आने के बाद आए ताजा झटकों, सड़कों के अवरुद्ध होने, बिजली गुल होने और अस्पतालों में भारी भीड़ के कारण जीवितों का पता लगाने के काम में बाधा आ रही है. इस भूकंप का असर बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तर पूर्वी भारत के कई शहरों में महसूस किया गया था. एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी दल भारत से यहां इस बात का जायजा लेने के लिए पहुंचा है कि भारत राहत अभियानों में कैसे सहयोग कर सकता है. एम्स और सफदरजंग अस्पताल के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के दलों को भी वहां तैनात किया जा रहा है.
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