नई दिल्ली : दिल्ली एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी पहली बार जीत हासिल कर पाई. जहां कुल 250 सीटों में से आप के पास 134 सीट हैं. वहीं भाजपा 104 सीटों दूसरे नंबर पर रही. दोनों पार्टियों में कमाल की टक्कर देखने को मिली. महज 30 सीटों के फर्क से आम आदमी पार्टी ने […]
नई दिल्ली : दिल्ली एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी पहली बार जीत हासिल कर पाई. जहां कुल 250 सीटों में से आप के पास 134 सीट हैं. वहीं भाजपा 104 सीटों दूसरे नंबर पर रही. दोनों पार्टियों में कमाल की टक्कर देखने को मिली. महज 30 सीटों के फर्क से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली एमसीडी की गद्दी अपने नाम कर ली है. हालांकि ये बाजी कुछ ही वोटों के अंतर से पलट भी सकती थी. ऐसा इसलिए क्योंकि इन चुनावों में कुल 12 ऐसी सीटें रहीं जिनपर जीत हार का अंतर कुछ चंद सीटों के अंतर पर था. आइए जानते हैं कौन सी थी वो सीटें.
अलीपुर बीजेपी 91
बुराड़ी बीजेपी 173
आदर्श नगर बीजेपी 187
शकरपुर बीजेपी 104
अशोक विहार बीजेपी 156
रघुबीर नगर बीजेपी 146
केशोपुर बीजेपी 176
देवली बीजेपी 164
चितरंजन पार्क आप 41
मोलरबंद आप 127
मंडावली बीजेपी 186
नंद नगरी आप 54
ये तो हो गई उन सीटों की बात जहां हार जीत का अंतर बेहद कम था. बात करें सबसे ज़्यादा अंतर वाली सीट की मटिया महल विधानसभा के चांदनी महल बोर्ड से आम आदमी पार्टी के आले मुहम्मद इकबाल ने 17,134 वोटों के अंतर से चुनाव जीता है.
देशभर की निगाहें राजधानी के एमसीडी चुनावों के परिणामों पर थी. यही कारण है कि दिल्ली स्टेट इलेक्शन कमिशन की आधिकारिक वेबसाइड नतीजों के दौरान कई बार क्रैश भी हुई. यदि हम चुनाव के वोटशेयर पर नज़र डालें तो आम आदमी पार्टी का वोटशेयर 42.05 प्रतिशत रहा. पिछली बार के मुकाबले इस बार आम आदमी पार्टी को 16 फीसद अधिक वोट मिले हैं. हैरानी की बात ये है कि भले ही दिल्ली एमसीडी में भाजपा हार गई हो लेकिन वोट शेयर के मामले में उसका रिकॉर्ड बिगड़ा नहीं है. इस साल बीजेपी का वोट शेयर 39.09 प्रतिशत रहा जो पिछले चुनावी साल के मुकाबले 3 प्रतिशत अधिक है. वहीं तीसरे नंबर की पार्टी कांग्रेस की बात करें तो दिल्ली एमसीडी में उनका वोट शेयर घटा है. जहां कांग्रेस का वोट शेयर 10 फीसद घटकर 11.68 प्रतिशत रहा.
इस बार कांग्रेस की ना सिर्फ सीटें कम हुई हैं बल्कि वोटशेयर में भी जबरदस्त गिरावट आई है. पिछली बार 31 सीटें जीतने वाली तीसरे नंबर की पार्टी कांग्रेस को इस साल केवल 9 सीटें ही मिल पाई हैं. बल्कि साल 2017 में तीनो एमसीडी को मिलाकर कांग्रेस का औसतन वोटशेयर 21 प्रतिशत था. यह भी दस प्रतिशत से घट गया है. लेकिन इस बात से साफ़ है की आम आदमी पार्टी ने यदि किसी का वोट शेयर छीना है तो वह भाजपा का नहीं है बल्कि कांग्रेस का है. वहीं भाजपा ने ना सिर्फ अपना वोट शेयर बचाया है बल्कि उसे बढ़ाया भी है.
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