काठमांडू. नेपाल में शनिवार को आए भीषण भूकंप में मृतकों की संख्या रविवार को बढ़कर 3200 हो गई. नेपाल के गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी. नेपाली गृह मंत्रालय ने कहा कि भूकंप की वजह से कम से कम 3200 लोगों की मौत हो चुकी है और 5936 घायल हुए हैं. यह आंकड़ा रविवार रात 8.30 बजे तक का है. वहीं काठमांडू में देर रात भारी बारिश हुई है.
भूकंप से 11 जिले प्रभावित हैं लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में काठमांडू, सिंधुपालचौक, ललितपुर, गोरखा और भक्तपुर शामिल हैं. सरकार ने कहा कि बचाव और राहत कार्य जारी है, लिहाजा मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है. पर्यटन मंत्रालय ने रविवार को कहा कि एवरेस्ट के आधार शिविर से 22 पर्वतारोहियों के शव बरामद किए गए हैं. हिमस्खलन की वजह से इनकी मौत हो गई थी.
मंत्रालय ने कहा कि 217 पर्यटक लापता है. मंत्रालय ने कहा कि आधार शिविर से 32 लोगों को बचाया गया है और उन्हें हवाई मार्ग से काठमांडू लाया गया है. उधर 29 को लुकला के अस्पताल भर्ती कराया गया है. कांठमांडू में त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा के अधिकारियों ने कहा कि रविवार को भूकंप के ताजा झटकों के बाद हवाईअड्डा बंद कर दिया गया था, लेकिन कुछ समय के बाद इसे खोल दिया गया.
हवाईअड्डे पर कई भारतीयों सहित सैकड़ों विदेशी नागरिक फंसे हुए हैं. उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री बामदेव गौतम ने हवाईअड्डा अधिकारियों से आग्रह किया कि यात्रियों की सुविधा के लिए हवाईअड्डे पर आव्रजन कार्यालय लगातार खुला रखें. गौरतलब है कि शनिवार को आए 7.9 तीव्रता वाले भूकंप से पूरा नेपाल दहल उठा था.
काठमांडू घाटी में रविवार अपराह्न 12.54 बजे आए इस भूकंप से हजारों लोग भयभीत हो गए और अपने घरों से बाहर निकल आए. जबकि नेपाल अभी शनिवार की भीषण तबाही से उबरने के प्रयासों में लगा हुआ है. रविवार को आए भीषण भूकंप का केंद्र दक्षिणी कोडारी से 17 किलोमीटर दूर स्थित है. यह स्थान राजधानी काठमांडू से 110 किलोमीटर दूर है. रविवार को आए भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था, जबकि शनिवार को आए भूकंप का केंद्र 15 किलोमीटर नीचे था.
नेपाल में शनिवार को आए भूकंप के बाद काठमांडू घाटी और अन्य जिलों में सैनिक, पुलिसकर्मी और अन्य सरकारी एजेंसियों के सभी कर्मचारी पूरे जोर-शोर से राहत एवं बचाव कार्य में लगे हुए हैं. भारत और कई अन्य देशों ने नेपाल के लिए तत्काल सहायता भेजी है. इस बीच रविवार को दोबारा से जलजला उठा.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, एक दिन पहले शनिवार को नेपाल में आए 7.9 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप और पड़ोसी देश भारत, भूटान और तिब्बत पर उसके प्रभाव के कारण अबतक 1,911 लोगों की मौत हो चुकी है. शनिवार को आए भूकंप का केंद्र लामजुंग जिले में स्थित था, जो कि राजधानी काठमांडू के उत्तरपश्चिम में करीब 75 किलोमीटर दूर है.
नेपाल के गृह मंत्रालय का कहना है कि भूकंप के 50 से अधिक झटके महसूस किए जा चुके हैं. अतिरिक्त नुकसान के डर और परेशानी के बीच काठमांडू में रहने वाले सैंकड़ों लोगों ने सड़कों पर रात बिताई. गृह मंत्रालय के बयान के मुताबिक, अकेले काठमांडू में 723 लोग मारे गए हैं, जबकि राजधानी से 13 किलोमीटर दूर भक्तपुर में 205 लोगों की मौत हुई है. राजधानी से पांच किलोमीटर दूर ललितपुर में 125 लोग मारे गए हैं.
मरने वालों में दो विदेशी और दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. बयान में चेताया गया है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है. इस आपदा में 4,600 लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. नेपाली मीडिया की रपट के मुताबिक, सिंधुपालचौक जिले में 80 लोगों की मौत हुई है.
सरकार ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है और क्षतिग्रस्त अवसंचनाओं के पुनर्निर्माण के लिए 50 करोड़ नेपाली रुपए का कोष बनाने की घोषणा की गई है. नेपाल के समाचार पत्र कांतीपुर डेली के मुताबिक, पूरे दिन आने वाले झटकों में बसंतपुर दरबार स्थित 80 फीसदी मंदिर तबाह हो चुके हैं. धरहरा में मीनार के मलबे में से करीब दो दर्जन शव बरामद हुए हैं. 83 साल पहले इसी प्रकार के एक भूकंप में धरहरा कई भागों में टूट गई थी.
इतिहासकार पुरुषोत्तम लोचन श्रेष्ठ ने कांतीपुर डेली को बताया, ‘हमने काठमांडू, भक्तपुर और ललितपुर में ऐसे ज्यादातार स्मारकों को खो दिया है जिन्हें विश्व धरोहरों में शामिल किया गया था. उन्हें उनकी मूल अवस्था में पुनस्र्थापित नहीं किया जा सकता.’
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