नई दिल्ली. साल 2015 खत्म होने को है. इस साल राजनीति, फिल्म और क्राइम की दुनिया से कई ऐसे मामले सामने आए जिनकी गुत्थी अब तक नहीं सुलझी है. इनमें एक केस शीना बोरा हत्याकांड रहा जिसमें स्टार इंडिया के पूर्व सीईओ पीटर मुखर्जी और उनकी पत्नी इंद्राणी मुखर्जी की मुश्किलें बढ़ी. वहीं व्यापमं केस में लगातार हुई मौतों ने भी सुर्खियां बटोरीं.
कैसे उलझी व्यापमं की गुत्थियां?
व्यापमं द्वारा आयोजित की जाने वाली पीएमटी परीक्षा में हुई गड़बड़ियों के संबंध में पहली बड़ी कार्रवाई इंदौर की अपराध शाखा ने सात जुलाई, 2013 को की थी और फर्जी तरीके से परीक्षा देने वाले 20 से ज्यादा लोगों को दबोचा था.
उसके बाद इंदौर में ही इस फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड डॉ. जगदीश सागर पकड़ा गया. व्यापमं मामले की अन्य परीक्षाओं में गड़बड़ी का खुलासा होने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले की जांच का जिम्मा एसटीएफ को सौंप दिया.
उसके बाद हाईकोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की. एसटीएफ अबतक 21 सौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. वहीं कथित तौर पर इससे जुड़े 48 लोगों की मौत हो चुकी है.
दो साल पहले इस मामले का खुलासा होने के बाद से कांग्रेस लगातार सीबीआई जांच की मांग करती आ रही है. मुख्यमंत्री चौहान इससे बचते रहे हैं लेकिन मंगलवार को वह सीबीआई जांच पर सहमत हो गए.
सात जुलाई, 2013 को जहां व्यापमं घोटाले का खुलासा हुआ था, वहीं दो वर्ष बाद सात जुलाई, 2015 को सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट को पत्र लिखा गया है.
राज्य में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) वह संस्था है जो इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज में दाखिले से लेकर वे सभी भर्ती परीक्षाएं आयोजित करता है, जो मप्र लोक सेवा आयोग आयोजित नहीं करता है. मसलन पुलिस उपनिरीक्षक, आरक्षक, रेंजर, शिक्षक आदि.
वीडियो पर क्लिक करके देखिए क्या-क्या बन गईं सुर्खियां: